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रिश्वत खाना पाप नहीं है बाबाजी

नयन लड़ाना पाप नहीं है बाबाजी
प्यार जताना पाप नहीं है बाबाजी

अगर पड़ोसन पट जाये तो उसके घर
आना -  जाना पाप नहीं है बाबाजी

बीवी बोर करे तो कुछ दिन साली से
काम  चलाना पाप नहीं है बाबाजी

पत्नी रंगेहाथ पकड़ ले तो उसके
पाँव दबाना पाप नहीं है बाबाजी

रोज़ सुबह उठ, अपनी पत्नी की खातिर
चाय बनाना पाप नहीं है बाबाजी

वेतन से यदि कार खरीदी न जाये
रिश्वत खाना पाप नहीं है बाबाजी

'अलबेला' हर व्यक्ति यहाँ दुखियारा है
इन्हें हँसाना  पाप नहीं है  बाबाजी

-अलबेला खत्री

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Comment by Albela Khatri on July 17, 2012 at 12:06am

bhramar ji ki jai ho
saadar

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 16, 2012 at 11:22pm

आदरणीय और प्रिय अलबेला जी ,भाई  उमाशंकर मिश्र जी और  प्रिय संदीप जी आप सब को चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक १५ में प्रथम द्वितीय तृतीय स्थान ले विजयी रहने पर हार्दिक और लख लख बधाइयाँ 

भ्रमर ५ 
Comment by Albela Khatri on July 16, 2012 at 12:08pm

आदरणीय राज कुमार रोलिया जी,
सादर प्रणाम
ये सच है कि  यह रचना बकवास है, महा फ़ालतू है  बल्कि इसे कचरा कहना भी कचरे का अपमान करना है और ये बात अगर आप पाँच रूपये का स्टाम्प ले आओ तो मैं उस पर भी लिख कर देने को तैयार हूँ........मैंने कब कहा  कि ये कोई साहित्यिक उपलब्धि है इस युग की........

और आपको भी क्यों उम्मीद करनी चाहिए कि  हर रचना श्रेष्ठ ही होगी....अरे भाई  इत्ता भी नहीं जानते,  जो गाय दो टाइम  दूध देत्ती  है वो  दस टाइम गोबर भी करती है, जिन्हें शुद्ध दूध पीना हो, उन्हें गोबर भी उठाना पड़ता है

आपने  समय निकाल कर मेरी तुकबन्दी बांची और उस पर अपने स्नेहसिक्त  शब्द  लिखे उसके प्रति आपका हार्दिक आभार और धन्यवाद

सादर

Comment by Raj Kumar Rohilla on July 16, 2012 at 12:05pm

aaa

Comment by Raj Kumar Rohilla on July 16, 2012 at 11:54am

lagta hai apne sirf isliye likha ki likhna tha.koi srijanta isme dikhai nahin deti.

is rachna me wo baat nahin hai jiske liye aapka intjaar rahta hai.

bakwas

Comment by Albela Khatri on July 14, 2012 at 10:56pm

जय हो जय हो

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 14, 2012 at 10:54pm

आज लगता है बाबा अपनी किरपा बर्षा रहे है बाबा जी के लिए कोई पाप नहीं है जी

जो चाहो वो  कर जाओ बाबा जी .....नेता जी और बाबा जी .....खुली छूट है भाई ..सारे  जहाँ से अच्छा  हिन्दुस्थान  तुम्हारा

हम बुल बुले हैं इसके ....ये गुलिस्तां तुम्हारा .....जय हो ....

Comment by Albela Khatri on July 14, 2012 at 10:21pm

धन्यवाद  भाई अरुण जी....
स्वागत  है

Comment by Arun Sri on July 14, 2012 at 8:19pm

नयन लड़ाना पाप नहीं है बाबाजी
प्यार जताना पाप नहीं है बाबाजी

'अलबेला' हर व्यक्ति यहाँ दुखियारा है
इन्हें हँसाना  पाप नहीं है  बाबाजी  ............. इस बार दाद इन्ही दोनों पर दूँगा बस ! मैं "भला आदमी" बाकी बातों को पाप ही मानता हूँ ! (अब नही भी मानता तो यहाँ बताने की क्या जरूरत ?) जय हो खत्री साहब ! पाप की  नई परिभाषा मुबारक हो !:-)) :-))

Comment by Albela Khatri on July 14, 2012 at 7:40pm

आपका कोटि कोटि धन्यवाद रेखा जी........
सादर !

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