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गौतम की प्रतीक्षा ?

कुछ तितलियाँ

फूलों की तलहटी में तैरती

कपड़े की गुथी गुड़ियाँ

कपास की धुनी बर्फ

उड़ते बिनौले

और पीछे भागता बचपन

मिट्टी की सौंध में रमी लाल बीर बहूटियाँ

मेमनों के गले में झूलते हाथ

नदी की छार से बीन-बीन कर गीतों को उछालता सरल नेह

सूखे पत्तों की खड़-खड़ में

अचानक बसंत की लुका-छिपी

और फिर बसंत -सा ही बड़ा हो जाना -

तब दीखना चारों ओर लगी कंटीली बाड़ का

कई अवसादों का निवेश

परित्यक्त देहर पर उलझे बंदनवार

और माँ की देह से चिपकी अहिल्या

पत्थर -सी चमकती आँखों में

एक पथ खोजती ..

कठफोड़वे की तरह टुकटुक करती

पीड़ा की सुधियों को फोड़ रही है

काष्ठ के कोटर -सी

माँ , राम मिलेगा तो सौंप दूंगी तुझे

पर गौतम की प्रतीक्षा ?

Views: 550

Comment

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Comment by Aparna Bhatnagar on October 16, 2010 at 5:28pm
Thanks vikas ji ...
Comment by vikas rana janumanu 'fikr' on October 9, 2010 at 1:48pm
kamaal hai ji, kamaal ..........

ek ek misraa .... jaise pathhar pe lakeer. ek dam kore-kunware lafz
poori ahtiyaat bartne ki

कुछ तितलियाँ

फूलों की तलहटी में तैरती

कपड़े की गुथी गुड़ियाँ

कपास की धुनी बर्फ

उड़ते बिनौले

और पीछे भागता बचपन

bahut hi sudnar, aur sahi ... khaakaa kheencha hai aapne



सूखे पत्तों की खड़-खड़ में

अचानक बसंत की लुका-छिपी

और फिर बसंत -सा ही बड़ा हो जाना -

तब दीखना चारों ओर लगी कंटीली बाड़ का

कई अवसादों का निवेश

gaoN ki yaad dilaa di aapne.. oe panchi kakshaa ka din tha , jo yaad aayaa .
behad achaa sa laga
aankh bheegi, honth thame se haiN abhi....


और माँ की देह से चिपकी अहिल्या

awesome . out of world ..... kyaa khyaal hai .... umdaaa
पत्थर -सी चमकती आँखों में

beauty . with pain
एक पथ खोजती ..

कठफोड़वे की तरह टुकटुक करती

पीड़ा की सुधियों को फोड़ रही है

काष्ठ के कोटर -सी

माँ , राम मिलेगा तो सौंप दूंगी तुझे

the second one ........... maien abhi tak aapka nam nahi padha hai, jo aap jo bhi hai ... kamaal hai .....
jabardast .........
koe agar hindi mai likhne ki haami bharta hai, to use aapko padhna hi chahiye
out of world ..
पर गौतम की प्रतीक्षा ?

ek faraaz shahab ka sher yaad aaya

jo bhi bichde hai kab mile haiN 'faraz'
fir bhi tu intzaar kar shayad .... :)

aap ba-kamaal likhti hai ...... aur sabse badi baat, aapke khayala apke shabdkosh , aur jo aapki yaaden haiN, behad khoobsurat hai.....

aapne jo likhaa maien dekha hai , jiyaa hai, par miti pad gayee hai

aapke paas sab kuch , sambhlaa huaa hai
aapk kismatw ali hai

aur hum bhi jo aapka likha pdh rahe haiN, aur padhenge

dua go

Fikr
Comment by Aparna Bhatnagar on October 7, 2010 at 12:00pm
Thanks! Rakesh ji..
Comment by Aparna Bhatnagar on October 5, 2010 at 2:58pm
Pooja ji Thanks!
Comment by Aparna Bhatnagar on October 5, 2010 at 2:57pm
Thanks a lot! Navin ji..
Comment by Pooja Singh on October 5, 2010 at 12:12pm
" एक पथ खोजती ..
कठफोड़वे की तरह टुकटुक करती
पीड़ा की सुधियों को फोड़ रही है
काष्ठ के कोटर -सी " बेहतरीन अभिव्यक्ति है |
Comment by Aparna Bhatnagar on October 5, 2010 at 10:34am
Thanks! Ganesh ji

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 5, 2010 at 10:01am
अचानक बसंत की लुका-छिपी
और फिर बसंत -सा ही बड़ा हो जाना -
तब दीखना चारों ओर लगी कंटीली बाड़ का

बहुत ही सुंदर रचना, शानदार अभिव्यक्ति,
Comment by Aparna Bhatnagar on October 4, 2010 at 9:41pm
धन्यवाद ! सर ... आप सभी के प्रोत्साहन से कलम सुधार की ओर अग्रसर होगी ..
Comment by sanjiv verma 'salil' on October 4, 2010 at 9:04pm
वाह... वाह... बहुत अच्छी रचना. प्रतीकों के माध्यम से अपनी बात कहने में सफल हैं आप.

कृपया ध्यान दे...

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