"चल कल्लुआ जल्दी से दारु पिला, आज मैं बहुत खुश हूँ |"
"अरे वाह, पर ऐसी क्या विशेष बात हो गई बिल्लू दादा ?
"यार, कल शाम जिस गुप्ता के घर में हम लोगो ने चोरी की थी न, उसने थाने में रपट दर्ज करा दी है |"
"तो दादा इसमें कौन सी ख़ुशी की बात है ?"
"ख़ुशी की बात तो यह है कल्लुआ, हम लोगों ने उसके घर से करीब २० लाख का माल उड़ाया और गुप्ता ने महज ३ लाख चोरी की ही रपट लिखाई है"
"वाह यह तो सचमुच ख़ुशी की बात है, दरोगा को हिस्सा भी कम देना पड़ा होगा"
"अरे नहीं रे, ऊ ससुरा दरोगा बहुत काइयां है, वो पहले ही भांप गया था कि हम लोगों ने लम्बा हाथ साफ़ किया है सो अपना हिस्सा पूरा ले लिया"
"पर दादा एक बात समझ में नहीं आई कि गुप्ता ने केवल तीन लाख की चोरी की ही रपट क्यों लिखाई ?"
"कल्लुआ तू समझता नहीं है, वो गुप्ता इनकम टैक्स चुराने के लिए ये सब नाटक कर रहा है "
" ओह तो यह बात है"
"तो दादा, लोग चोर हमें ही क्यों कहते हैं ?"
एक अनुरोध :- दो दिनों बाद भी मैं इस लघु कथा का सटीक शीर्षक देने में असमर्थ रहा, यदि आप मित्रगण कोई शीर्षक सुझा सकें तो मैं आभारी रहूँगा |
Comment
सार्थक प्रश्न.... सशक्त कथा आदरणीय बागी भाई....
लघु कथा सच्चा किस्सा है बागीजी !
अपने जीवन का हिस्सा है बागीजी !
अगर चाहिए शीर्षक तो मं बतलाऊं
"चोरी कर चोरी" अच्छा है बागीजी ___________
धन्यवाद रेखा जी, वैसे इस लघुकथा के लेखक आदरणीय बागी जी हैं .......:-)
आदरणीय बागी जी, आज के हालात पर बहुत ही सशक्त लघु कथा लिखी है आपने ..जिसके लिए आपको बहुत बहुत बधाई...आज जब बड़े बड़े सफेदपोश चोर डकैत आजाद घूम रहे हैं तो इन छुटभैये चोरों को इसका मलाल होना स्वाभाविक ही हैं.....जब इस लघुकथा में ....चोर, पुलिस व गुप्ता जी तीनों ही चोर हुए ....तो चोर कहलाने की सजा सिर्फ एक को ही क्यों ....???
आदरणीय अम्बरीश जी ,सादर नमस्ते ,आजकल के हालात पर सार्थक है यह लघु कथा ,आप जैसे गुणवान व्यक्ति को अपना सुझाव देना तो सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है ,फिर भी मेरे ख्याल से इसका शीर्षक ''हम सब चोर है ''होना चाहिए ,वैसे भी आजकल यही तो हो रहा है |बढ़िया लघु कथा के लेखन पर हार्दिक बधाई
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