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हम कलम को फ़ेंक के तलवार भी ले सकते है

कमज़र्फ़

तू हमारी वजह से ही साहिब -ऐ -मसनद है आज
हम जो चाहें तेरी दस्तार भी ले सकते है
इम्तिहान -ऐ -सब्र मत ले खूगर -ऐ -ज़ुल्म -ओ -सितम
हम कलम को फ़ेंक के तलवार भी ले सकते है

उरूज

दुनिया वाले कह रहे है साजिशों से पायी है
हमने ये जिंदा दिली तो ख्वाहिशों से पाई है
कामयाबी पर हमारी जल रहा है क्यों जहाँ
कामयाबी हमने अपनी काविशों से पायी है

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Comment by Hilal Badayuni on October 6, 2010 at 3:44pm
aap sabhi logo ka bahut bahut shukriya navin bhai ashish ji ganesh ji

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 6, 2010 at 9:06am
बहुत खूब हेलाल भाई, दोनों क़तात खुबसूरत है,
Comment by आशीष यादव on October 6, 2010 at 6:15am
waah, waah.
दुनिया वाले कह रहे है साजिशों से पायी है

हमने ये जिंदा दिली तो ख्वाहिशों से पाई है
behatarin baat kahi hai janaab.

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