वो कोमल थे, वो कंटीले थे,
आँखें सूखीं थी, हम गीले थे,
रास्ते फूलों के, पथरीले थे,
जख्मी पग, कांटें जहरीले थे,
ढहे पेंड़ों से, पत्ते ढीले थे,
बिखरे हम, कर उसके पीले थे,
नाजुक लब, नयना शर्मीले थे,
घर में बदबू थी, हम सीले थे,
हम फीके भी ,हम चमकीले थे..........
Comment
स्वागत है अनुज .....सस्नेह
आशीष जी शुक्रिया .
भ्राताश्री अम्बरीश जी बस इसी तरह से मार्ग दर्शन करते रहिये, एक दिन अवश्य सीख जाऊँगा. बहुत बहुत धन्यवाद
अलबेला जी सराहना के लिए आभार.
Arun sharma ji is sundar rachna ke liye badhai .....
ambarish ji aapke is commnet se mujhe kafi kuch samjh aaya hai , aur mai ise sudhar bhi karunga
dhnaywaad
अरुण शर्मा ‘अनंत’ जी, सुंदर रचना रचने का बेहतर प्रयास किया है आपने…. हार्दिक बधाई मित्र...
फिर भी मैं आपको ध्यान दिलाना चाहूँगा कि गेय रचना की गेयता/प्रवाह टूटना नहीं चाहिए
तथा निर्धारित की गयी मात्रायें समान होनी चाहिए........उदाहरण के लिए आप अपनी पहली व दूसरी पंक्ति को देखिये ...
२ २११ २ १ १ २ २ = १५
//वो कोमल थे, वो कंटीले थे,
२२ २२ २ ११ २२ २ =१८
आँखें सूखीं थी, हम गीले थे,//
{मात्रा गणना हमेशा उच्चारण के अनुसार ही की जाती है ....इसीलिए यहाँ पर ‘वो कंटीले’ (कँटीले) में ‘वो’ व ‘कं’ को गिरा कर अर्थात लघु रूप में पढ़ा जायेगा}
सुझाव के रूप में निम्नलिखित उदाहरण को देखिये ......
२ २ ११ २१ १२२ २=१६
वो कोमल और कँटीले थे,
२२ २२ ११ २२ २=१६
आँखें सूखीं, हम गीले थे,
११ २२ २ ११२२ २=१६
पथ फूलों के, पथरीले थे,
११ २११ २ ११२२ २=१६
पग कंटक तो जहरीले थे,
२२ २ २२ २२ २=१६
पेंड़ों से पत्ते ढीले थे,
११२ ११ ११ २ २२ २=१६
बिखरे हम, ‘कर’ वो पीले थे,
२११ ११२ २२२ २=१६
नाजुक नयना शर्मीले थे,
११ २ ११२ २ २२ २=१६
घर में बदबू जो ‘सीले’ थे,
११ २२ २ ११२२ २=१६
अब फीके हैं, चमकीले थे..
सस्नेह
वाह वाह अच्छा प्रयास अरुण शर्मा जी
रास्ते फूलों के, पथरीले थे,
जख्मी पग, कांटें जहरीले थे,
__बधाई !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online