ऐसे वीर शेर हैं अपने छाती ताने ठाढ़े
घर में घुस कर घेर लिए हैं दुश्मन को ललकारें
गीदड़ – गीदड़ भभकी देता बोल नहीं कुछ पाए
बिल में घुसकर दौड़ डराता अन्दर ही छुप जाये
साँसे अटकी हैं उन सब की भ्रष्टाचारी जो है
क्या मुंह ले वे सामने आयें फाईल यहाँ भरी है
ऐसे वीर शेर हैं अपने छाती ताने ठाढ़े
नमन तुम्हे हे वीर हमारे कल तुम दुनिया जीते !!
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कहते हैं तुम थाने जाओ कोर्ट कचहरी बाहर देश
शर्म नहीं आती है इनको जन प्रतिनिधि कहता है देश
क्या बोलें क्या करते जाएँ क्या दे जाते हैं सन्देश
दुनिया देखे कायर कहती रोते घूमें सगरो ओर
एक हो कायर भीरु अगर तो आँचल में छुप जाए
इतने चोर उचक्कों को माँ काहे दूध पिलाये ??
ऐसे वीर शेर हैं अपने छाती ताने ठाढ़े
नमन तुम्हे हे वीर हमारे कल तुम दुनिया जीते !!
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कुर्सी बदली बोली बदली अब ना रहे गरीबी
भ्रष्टाचार बुरा है भैया बातें खाली पीली
कुआं खोदने हम जाते हैं उसमे टांग अड़ाए
भूखे प्यासे मार ये देंगे जिद पर अपनी आये
हे माँ क्यों पाला है इनको ऐसे दुर्दिन आये
तेरे दूध की लाज नहीं है थाली छेद कराते
ऐसे वीर शेर हैं अपने छाती ताने ठाढ़े …
नमन तुम्हे हे वीर हमारे कल तुम दुनिया जीते !!
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जोश जवानों का क्या कहना बूढ़े अपने ,,,शेर
पंजा अगर गड़ा देंगे कल साँस न आये ..ढेर
ईमां सत्य की राह न रोको .. ना चलती अंधेर
दिया न बत्ती जलती प्यारे किले बने मिटटी के ढेर
जो अरबों लूटे गाड़े हो तुम गरीब के मुंह से छीने
कफ़न भी ना पाओगे इनसे वो गरीब ही कल सब छीने
ऐसे वीर शेर हैं अपने छाती ताने ठाढ़े ..
नमन तुम्हे हे वीर हमारे कल तुम दुनिया जीते !!
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ना शरमाओ अभी वक्त है साधू तुम बन सकते
कुछ दिन निर्जन काल कोठरी आत्मसमर्पण करके
बेटा बेटी घर रिश्ते भी भी आज करेंगे माफ़
कल जो मुंह ढक के घूमोगे यही करें इन्साफ
ठोकर जब इनसे खाओगे जिनके कारण लूटे
चुल्लू में तुम डूब मरोगे अपनी छाती पीटे..
ऐसे वीर शेर हैं अपने छाती ताने ठाढ़े ..
नमन तुम्हे हे वीर हमारे कल तुम दुनिया जीते !!
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल ‘भ्रमर’५
कुल्लू यच पी
२६.०७.2012
१-१.३७ मध्याह्न
Comment
प्रिय 'अनन्त' जी रचना आप के ह्रदय को छू पायी और प्रोत्साहन मिला आप से बड़ी ख़ुशी हुयी आभार
आदरणीय अशोक भाई आभार आप का रचना कुछ अच्छे सन्देश दे सखी लिखना सार्थक हुआ
आदरणीय भ्रमर जी बहुत ही खुबसूरत , बहुत-२ बधाई
आदरणीय भ्रमर जी
सादर, ना शरमाओ अभी वक्त है साधू तुम बन सकते
कुछ दिन निर्जन काल कोठरी आत्मसमर्पण करके
बेटा बेटी घर रिश्ते भी भी आज करेंगे माफ़
कल जो मुंह ढक के घूमोगे यही करें इन्साफ
ठोकर जब इनसे खाओगे जिनके कारण लूटे
चुल्लू में तुम डूब मरोगे अपनी छाती पीटे..
लाजवाब संदेश देती, जोश जगाती रचना. जय श्री राधे.
गौरव अजीतेंदु जी आभार आप का ..आप ने अपने इन दहाड़ने वाले शेरों के सम्मान में ये १०००००००००००००००००००.............अनंत / असंख्य नंबर दिए दिल खुश हो गया ....
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