For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'कोख' को बचाने को ...भाग रही औरतें

कोख को बचाने को भाग रही औरतें 

------------------------------------------

ये कैसा अत्याचार है 

'कोख' पे प्रहार है 

कोख को बचाने को 

भाग रही औरतें 

दानवों का राज या 

पूतना का ठाठ  है 

कंस राज आ गया क्या ?

फूटे अपने भाग है ..

रो रही औरतें 

--------------------

उत्तर , मध्य , बिहार  से 

'जींद' हरियाणा चलीं 

दर्द से कराह रोयीं 

आज धरती है हिली 

भ्रूण हत्या 'क़त्ल' है 

'इन्साफ' मांगें औरतें ....

-------------------------------

जाग जाओ औरतें हे !

गाँव क़स्बा है बहुत 

'क्लेश' ना सहना बहन हे 

मिल हरा दो तुम दनुज 

कालिका चंडी बनीं 

फुंफकारती अब  औरतें ...

----------------------------------

कृष्ण , युधिष्ठिर अरे हे !

हम सभी हैं- ना -मरे ??

मौन रह बलि ना बनो रे !

शब्दों को अपने प्राण दो 

बेटियों को जन जननि हे !

संसार को संवार दो 

तब खिलें ये औरतें 

कोख को बचाने जो 

भाग रहीं औरतें 

---------------------

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर' ५ 

१४.७.२०१२

८-८.३८ मध्याह्न 

कुल्लू यच पी 

Views: 530

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 18, 2012 at 11:44pm

प्रिय संदीप जी रचना नारी कि वेदना के साथ साथ उनके साहसिक कदम को नमन करती आप को भायी सुन ख़ुशी हुयी आभार 

भ्रमर ५ 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 18, 2012 at 11:43pm

प्रिय आशीष जी रचना उत्कृष्ट रही और आज के हालत दर्शा सकी सुन ख़ुशी हुयी आभार 

भ्रमर ५ 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 18, 2012 at 11:42pm

स्त्रियों को ही अब मोर्चा संभालना होगा बहुत अच्छा सन्देश 

आदरणीया राजेश कुमारी जी प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत आभार आइये अपनी आवाज यों ही बुलंद करते रहें 

भ्रमर ५ 

 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 18, 2012 at 2:46pm

सच कहा इसीलिए उन्हें कभी कभी जीवन श्राप के सम्द्रश्य लगता है
बहुत सुन्दर रचना नारी की वेदना मुखरित करती हुई
बहुत बहुत बधाई आपको इस रचना के लिए

Comment by आशीष यादव on July 18, 2012 at 10:32am

उत्कष्ट रचना। सामयिक।
बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 18, 2012 at 9:58am

बहुत सुघड़ता से आज के समाज के दुष्कृत्य को उजागर किया है रचना में स्त्रियों को ही अब मोर्चा संभालना होगा बहुत अच्छा सन्देश देती रचना बधाई भ्रमर जी 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 17, 2012 at 11:52pm

प्रिय वाहिद काशी वासी भाई जी   ...आभार आप का समर्थन हेतु ये बात आप की अक्षरशः सत्य तो है ही की जिनके ऊपर बीतने जा रही है जो सब जान रही हैं जो झेल रही हैं उन्हें ही आगे आना होगा और वो अब साहस दिखाने भी लगी हैं लेकिन नारी और पुरुष एक दूजे से मिल कर ही पूर्ण होते है इस लिए आइये उन्हें हर तरह का संबल और मनोबल देते रहें 

भ्रमर ५ 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 17, 2012 at 11:49pm

आदरणीया रेखा जी सच कहा आप ने ये साहस भरा कदम तो उन्हें उठाना होगा अपना मुह खोलना होगा आवाज बुलंद करने के लिए हम सब के मुख और हाथ सदैव तत्पर हैं ...आभार 

भ्रमर ५ 
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on July 17, 2012 at 7:38pm

आदरणीय भ्रमर जी!

समाज में उपजी यह कुरीति और इसे मिटाने का उपाय सभी तो आपकी कविता में निहित हैं| इसे दूर करना स्त्रियों के सहयोग के अभाव में संभव नहीं है| सादर राधे-राधे..

Comment by Rekha Joshi on July 17, 2012 at 3:43pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी ,अति सुंदर अभिव्यक्ति ,अपनी कोख को बचने औरतों को ही आगे आना होगा ,बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service