पहले अपने शब्द टटोलो बाबाजी
फिर तुम अपना श्रीमुख खोलो बाबाजी
साहित्य के इस मंच पे गर कुछ कहना है
साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी
जीवन में सुख दुःख का सीधा मतलब है
थोड़ा हँस लो, थोड़ा रो लो बाबाजी
मान गया मैं, नहीं डरे तुम झूले पर
अब तो अपने कपड़े धोलो बाबाजी
ढाई बज गये, बाबी द्वार न खोलेगी
यहीं किसी फुटपाथ पे सो लो बाबाजी
हाथ में थी वो सारी फ़सल उड़ा डाली
साथ की खातिर भी कुछ बो लो बाबाजी
रोने से क्या संकट कम हो जायेंगे ?
आओ झूमो, नाचो, डोलो बाबाजी
'अलबेला' सब रूखापन मिट जायेगा
जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी
-अलबेला खत्री
Comment
आर्य समाज का आदर्श वाक्य है: कृण्वन्तो विश्वमार्यम्, जिसका अर्थ है - विश्व को आर्य बनाते चलो। कृण्वन्तो विश्वमार्यम् कृण्वन्तो विश्वमार्यम्. कृण्वन्तो विश्वमार्यम्. कृण्वन्तो विश्वमार्यम्. हम सब मिलकर के गाएं. हम सब करके दिखलाएं. हम ऐसा विश्व बनाएं.. कृण्वन्तो... वेदों का सन्देश सुनें हम. उपनिषदों का ज्ञान पढें हम. जग में एक गान गुन्जाएं.. कृण्वन्तो... ऋषियों का उपदेश सुनें हम. शास्त्रों का विज्ञान गुनें हम. मानव मानव यह गाए.. कृण्वन्तो... सदाचार को सब अपनाएं. श्रेष्ठ भाव सब मन में लाएं. सारे जग को आर्य बनाएं.. कृण्वन्तो विश्वमार्यम्. कृण्वन्तो विश्वमार्यम्. कृण्वन्तो विश्वमार्यम्. रचयिता - श्री चिंता मणि वर्मा (साहित्य रत्न ,B.Sc(Phys.)) संरक्षक आर्य सत्संग मंडल ,मांडले ,म्यांमा (बर्मा)
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्. कृण्वन्तो विश्वमार्यम्. कृण्वन्तो विश्वमार्यम्. कृण्वन्तो विश्वमार्यम्. हम सब मिलकर के गाएं. हम सब करके दिखलाएं. हम ऐसा विश्व बनाएं.. कृण्वन्तो... वेदों का सन्देश सुनें हम. उपनिषदों का ज्ञान पढें हम.
आभार आप का कुछ हम सीखे ..भ्रमर ५
राधे राधे
आपकी सराहना एक बार फिर सर आँखों पर......
फिर एक बार धन्यवाद आपको.........
सादर !
इत्ता मुश्किल जवाब ऐसे ही थोड़े मिल जाएगा ....
बाबाजी अभी ध्यान में हैं.......
जब प्रवचन पर बैठेंगे तो आपकी शंकाओं का निराकरण करेंगे,,,,,,,,
वैसे ये निराकरण क्या होता है बाबाजी को भी पता नहीं...हा हा हा
पहले अपने शब्द टटोलो बाबाजी
फिर तुम अपना श्रीमुख खोलो बाबाजी........ bahut badiya
साहित्य के इस मंच पे गर कुछ कहना है
साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी................waah
waah !
chhi jaankari.......
___dhnyavaad ganesh lohani ji.........
आदरणीय सुरेन्द्र शुक्ला भ्रमर जी,
जय हो आपकी...........
बहुत सुन्दर प्रतिक्रिया आपकी...........हाय हाय हाय
मजो आ गयो...
____आपकी बात पर तो मेरा मन एक ही बात कहता है
______कृण्वन्तो विश्वं बाबाजी ...हा हा हा
रोने से क्या संकट कम हो जायेंगे ?
आओ झूमो, नाचो, डोलो बाबाजी
'अलबेला' सब रूखापन मिट जायेगा
जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी
प्रिय अलबेला जी जय श्री राधे ..जाने कहाँ ढाई बजाये... कहाँ तीर चलाये... मो को कुछ समझ न आयो ...फिर भी रचना ने कुछ सुन्दर सन्देश दियो है बाबा जी ..
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