For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एकांत सुहाना लगता है

जिस राह में तुम साथ न हो ,
रास्ता वीराना लगता है
यूँ तो हजारों थे साथ मगर
फिर भी अकेलापन लगता है
जब तन्हाई में तनहा होता हूँ 
यादों की मुंडेर पर बैठकर
यादें चुनने लगता हूँ 
उस बिखरे सन्नाटे में
तुमसे बातें करने लगता हूँ 
जानता हु की तुम मुझसे दूर बहुत
लेकिन अहसास तुम्हारा लगता है
आंसू सूख गए शायद
या किसने रोका होगा
आँखों में सागर मुझको
बंधित बंधित लगता है
जब दर्पण देखूं तो प्रतिबिम्ब
फटा फटा सा लगता है
नज़रें साथ नहीं देती
या फिर दर्पण टूटा लगता है
मेरा आँगन अब मुझको
कहाँ सुहाना लगता है
जब किसी कोने दुबक कर
पगला मन रोने लगता है
मैं अब दीप नहीं प्रज्वलित करता
अपने उस आँगन में
अँधेरा साथ नहीं देता
उजालों से डर लगता है
कितने ही मौसम आए 
कितने ही गुजर गए अब तक
पर अब तक मुझको ,
पतझड़ का मौसम लगता है
अंतर्मन की घाटी में
याद का पहरा रहता है
एक एक पल उसके बिन
कल्पों पर भारी लगता है
एकाकी बैठे होते है हम
और दरवाजे पर आहट होती है
शायद लौट कर आ गया
मन में ऐसा लगता है
माँ कहती है खाना खा लो
कब भूख प्यास हमें लगती है
प्रथम कौर जब मुह में लेता
गले में अटका लगता है
वो मित्रों का मनुहार हमें
कब अच्छा लगता है
माँ कहती है क्या हुआ है
रोग नया सा लगता है
भीड़ भाड़ की दुनिया में
अब कुछ भी हमें नहीं भाता
गहन अंधेरों में एकाकी हो
एकांत सुहाना लगता है

योगेश शिवहरे

Views: 677

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on August 5, 2012 at 3:57pm

अच्छे भाव गुंथे हैं सुन्दर रचना में.... योगेश जी बधाई.

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 5, 2012 at 3:17pm

बेहद सुन्दर योगेश जी बधाई स्वीकारें

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 5, 2012 at 12:55am

वो मित्रों का मनुहार हमें 
कब अच्छा लगता है 
माँ कहती है क्या हुआ है 
रोग नया सा लगता है 
भीड़ भाड़ की दुनिया में 
अब कुछ भी हमें नहीं भाता 
गहन अंधेरों में एकाकी हो 
एकांत सुहाना लगता है

मनोभावों का सहज और सुन्दर वर्णन ..हाँ कभी कभी ऐसा अँधेरे में बैठना सोचना गुमसुम खो जाना सच में बड़ा प्यारा न्यारा लगता है ..जय श्री राधे .....भ्रमर ५ 

Comment by yogesh shivhare on August 4, 2012 at 4:27pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय रेखा जी ,आप लोगों ने हौसला आफजाई के लिए शुक्रिया

Comment by Rekha Joshi on August 4, 2012 at 1:42pm

भीड़ भाड़ की दुनिया में 
अब कुछ भी हमें नहीं भाता 
गहन अंधेरों में एकाकी हो 
एकांत सुहाना लगता है,अति सुंदर अभिव्यक्ति योगेश जी ,बधाई 

Comment by yogesh shivhare on August 4, 2012 at 10:35am

बहुत बहुत आभारी हूँ लक्ष्मण जी ,अपनी टिप्पणी dekar इसे खूबसूरत बनाने के लिए पुनः आभार 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 4, 2012 at 9:42am

योगेश शिव हरे को देखो,कैलाश पर बैठा दिखता है 

शांति का एहसास होता है,उसे  एकांत सुहाना लगता है

उत्तम रचना के लिए बधाई योगेश शिव हरे भाई 
Comment by yogesh shivhare on August 3, 2012 at 11:53pm

आपने प्रतिक्रिया दी अच्छा लगा...आदरणीय सूरज जी

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on August 3, 2012 at 10:57pm

बहुत ही सुंदर भाव समेटे  बेहद खूबसूरत कविता के लिए बहुत बहुत बधाई योगेश !!! अति सुंदर !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह .. वाह वाह ...  आदरणीय अशोक भाईजी, आपके प्रयास और प्रस्तुति पर मन वस्तुतः झूम जाता…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई जी, आयोजन में आपकी किसी रचना का एक अरसे बाद आना सुखकर है.  प्रदत्त चित्र…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अंतिम दो पदों में तुकांंत सुधार के साथ  _____ निवृत सेवा से हुए, अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन…"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _____ निवृत सेवा से हुए अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन से न बैठने दें पोतियाँ माँगतीं…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service