इश्क मे दरिया मे उतरता चला गया l
जितना डूबा दिल निखरता चला गया ll
हमने तो की कोशिशे की जुदा न हो l
फिर भी कैसे बिछड़ता चला गया ll
उसने लहज़ा बदल दिया तभी l
नज़रों से उतरता चला गया ll
उसकी बातों मे फिसल गये सभी l
मैं भी फिर बहकता चला गया ll
वो जितना सुलझते चले गये l
उतना ही मैने उलझता चला गया ll
इश्क भी आसा न था करना यहाँ "यश" l
काँटों पर…
ContinueAdded by yogesh shivhare on July 2, 2018 at 7:54am — 5 Comments
१
Added by yogesh shivhare on September 2, 2012 at 3:30pm — 2 Comments
जिस राह में तुम साथ न हो ,
रास्ता वीराना लगता है
यूँ तो हजारों थे साथ मगर
फिर भी अकेलापन लगता है
जब तन्हाई में तनहा होता हूँ
यादों की मुंडेर पर बैठकर
यादें चुनने लगता हूँ
उस बिखरे सन्नाटे में
तुमसे बातें करने लगता हूँ
जानता हु की तुम मुझसे दूर बहुत
लेकिन अहसास तुम्हारा लगता है
आंसू सूख गए शायद
या किसने रोका होगा
आँखों में सागर मुझको
बंधित…
Added by yogesh shivhare on August 3, 2012 at 7:30pm — 9 Comments
बहुत सालों पहले की मेरी डायरी के पन्नो पर अंकित कुछ पंक्तियाँ आपके समक्ष रख रहा हु .भावो को समेटने की कोशिश की है इन शब्दों के गुलदस्ते में, पसंद आये तो सूचित करियेगा और मुझे अवगत करायें मेरी त्रुटियों से । आपका अपना सबका छोटा भाई योगेश...
उन गहन अँधेरे कमरों में ,सन्नाटा ही अब रहता है
मैं दरवाजे खोलू कैसे .तेरी याद…
ContinueAdded by yogesh shivhare on July 8, 2012 at 12:00am — No Comments
बेशक नफरतों को दिल में पालिए
Added by yogesh shivhare on June 17, 2012 at 3:30pm — 6 Comments
छा गए बदरा कारे कारे नभ में
बयार शीतल लगी खिल उठे सभी
पात पात फूल फूल ये बात हो रही
खबर लाई है हवा बरसात की अभी
गिर पड़ी बूँदें यकायक धरा पर ज्यों ही
पुलकित हो गए है मन सभी
लू के थपेड़ों को सहते रहे बड़ी आस के साथ
खिल उठी कलियाँ मदमस्त सभी
आगमन में सभी जीव चर गा रहे है गीत
मिटटी की ख़ुशबू में मदमस्त है सभी
किसान अपने हल को देखकर मुस्कुराया
और मन में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है
आओ स्वागत है सावन इस…
Added by yogesh shivhare on June 16, 2012 at 7:00pm — 3 Comments
Added by yogesh shivhare on June 16, 2012 at 11:30am — 2 Comments
अपने भावो को शब्दों में उतारना मुमकिन न था, एक कोशिश की है मुझे मेरी त्रुटियों से अवगत कराएँ ताकि भविष्य में उनको दोहराने की भूल न करूँ
आपका योगेश शिवहरे "यश"
जो घोसले बनाते है बड़े अरमानो के साथ
ज़माने ने देखे बड़े रंज-ओ गम के साथ…
Added by yogesh shivhare on June 12, 2012 at 7:00pm — 10 Comments
अब मुझे पता न बताओ मेरी मंजिलो का
पूझे पता है की मुझे जाना किधर है
वही से आया हू वही जाऊंगा बेफिक्र रह
चाहो तो भाल पर पढ़ लो नक्सा इधर है
लूटे नहीं इस शहर में अमीर के घर…
Added by yogesh shivhare on June 10, 2012 at 5:30pm — 4 Comments
कैसी हलचल ह्रदय में ,आंख में कैसा गंगाजल
कैसा जीवन है ये जहा, मरता है मन पल पल .
सब यहाँ लिए है नयन,पर है ये कैसा अंधापन
जीवन की सच्चाई से भाग रहा मानव हर पल
साथ नहीं…
Added by yogesh shivhare on June 8, 2012 at 11:00pm — 1 Comment
ग़मों का कारवां मेरे दामन से कब लिपट गया,
मौसम जो था सावन का नयनो में ठहर गया ,
खुद को बहुत समझाया मगर ये समझ न आया ,
वो वक़्त का मुसाफिर था चला गया तो चला गया
Added by yogesh shivhare on June 8, 2012 at 3:00pm — 8 Comments
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