ससुर जी ये कब का, तूने बैर है निकाला,
काहे अपनी बेटी को, सर पे मेरे डाला |
लड़की है वो या फिर, बकबक की टोकरी,
साल भर हुआ नहीं, सरका है दिवाला |
पाक कला ज्ञात नहीं, देर जगे बात नहीं,
फिल्म देखे रात नहीं, अटका है निवाला |
मान गया रूप बड़ा, गुण भी कोई चीज है,
बोले बिना जान सके, क्या कहे घरवाला ||
Comment
सब आपका आशीर्वाद फल रहा है महाप्रभु
आपका डंडा सबको सुधार देता है
__मैंने प्रयास किया आदरणीय, आपको पसन्द आया तो मुझे बड़ा सुकून मिला
सादर
हा हा हा... आदरणीय अलबेला जी, आपके भाव बहते आते हैं .. :-)))
ऐसी ’उद्घोष’ पत्नी को ’आइटम’ ही कह डाला.. . :-))
ओबीओ की ’सीख-सिखाना’ परिपाटी का सम्यक निर्वहन हुआ देख कर मन मुग्ध है.
सादर
जय हो अलबेला भैया की..........
pyare bhaai main aadarniy saurabh ji se sahmat hoon.........
aisa karke dekho........
shaayad saurabh ji paas kar den........
ससुर जी ये कब का, तूने बैर है निकाला, ____आदरेय ससुरजी, मुझ से क्या बैर था जो
काहे अपनी बेटी को, सर पे मेरे डाला | ____कन्यादान के बहाने आपने निकाला है
लड़की है वो या फिर, बकबक की टोकरी, ____आपकी जो छोकरी है, संकट की टोकरी है
साल भर हुआ नहीं, सरका है दिवाला | -_____इसकी कृपा से मेरा निकला दिवाला है
पाक कला ज्ञात नहीं, देर जगे बात नहीं, ____चूल्हा चौका ज्ञात नहीं, मीठी कोई बात नहीं,
फिल्म देखे रात नहीं, अटका है निवाला | ___ढंग का मिले न मुझे एक भी निवाला है
मान गया रूप बड़ा, गुण भी कोई चीज है, ___रूप तो है ख़ूब किन्तु, गुण एक भी नहीं है
बोले बिना जान सके, क्या कहे घरवाला || ___हाय कैसा आयटम मेरे पल्ले डाला है
वे अपनी ख़ुद सोचेंगे भाई..........कुंवारे हो तो मज़ा करो..........
शादी वालों के घाव पर फिटकरी क्यों घिस रहे हो...हा हा हा
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online