बाघ सरीखा जब वह गरजे,
भीडू अक्खी मुम्बई लरजे
राजनीति की नई आवाज़
क्या सखि उद्धव ?
नहीं सखि राज
जनता रोये वह मुस्काये
मंहगाई की हँसी उड़ाये
ठोक रहा वह सबको छेणी
क्या सखि मन्नू ?
नहीं सखि वेणी
प्यासा प्यासा तरसा तरसा
सावन में भी तनिक न सरसा
ताक रहा है मेघ मुहूरत
क्या सखि साजन ?
नहिं सखि सूरत
-अलबेला खत्री
Comment
सादर धन्यवाद आपको रक्ताले भाईजी..........
बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीय अलबेला जी
सादर नमस्कार, बहुत सुन्दर कह मुकरियाँ और साथ में गुजरात के लिए आपके समर्पण को भी नमन.
रात रातभर जगता तपता,
दूर तलक है उसको तकता,
कैसे करे उससे गुजारिश,
क्या सखि नानी?
नहि सखि बारिश!
नमस्कार प्रदीप जी......
आपका आना सुखद लगा
__आशा है स्वास्थ्य अच्छा होगा ........
सादर
प्यासा प्यासा तरसा तरसा
सावन में भी तनिक न सरसा
ताक रहा है मेघ मुहूरत
क्या सखि साजन ?
नहिं सखि सूरत
सब जगह गरज रहे
सब जगह बरस रहे
मेघ ममता की moorat
aap कोई करो उपाय
प्यासा न रहे सूरत.
बधाई.
शुक्रिया भाई जी,,,,,,,,,,,
आपका आभार नवल जी
धन्यवाद आदरणीया
..बधाई.
क्या बात है........बधाई.......
नमस्कार अम्बरीश जी
बहुत बहुत धन्यवाद भाईजी........
आपकी प्रशंसा सदैव प्रफुल्लित करती है
__सादर
झांके सबके दिल के अंदर
कह मुकरी जिसकी सब सुन्दर
मस्त मीडिया प्रमुदित चेला
क्या सखि छैला? नहिं अलबेला !
वाह आदरणीय अलबेला जी ! वाह ! क्या लज्जतदार कहमुकरियाँ कही हैं .......एक से बढ़कर एक ......सादर बधाई मित्रवर ....
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