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=====ग़ज़ल =======

एक तूफाँ यहाँ से गुजरा है
आइना जो मकाँ से गुजरा है

आरजू भीगने की फिर जागी
अब्र इक आसमाँ से गुजरा है

इश्क करके दिले नाशाद हुए
दर्द दिल और जाँ से गुजरा है

चश्म क्यूँ सुर्खरू हैं आज तेरे
अब बता दे कहाँ से गुजरा है

रोशनी अब तलक है राहों में
दीप जलके वहाँ से गुजरा है


संदीप पटेल "दीप"

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Comment by सूबे सिंह सुजान on August 25, 2012 at 9:00pm

badhai

Comment by Rekha Joshi on August 25, 2012 at 1:07pm

रोशनी अब तलक है राहों में 
दीप जलके वहाँ से गुजरा है ,खूबसूरत गजल संदीप जी ,बधाई 

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