For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सौन्दर्य तुम्हारा प्रियतमे, सप्तसुर संगीत है!
धरती-गगन संयुक्तता सा, प्रेम अपना गीत है!

संसार ये अतिशय है तप्त, मै बहुत संतप्त हूं!
संतप्तता के इस गहर में, संग तुम तो शीत है!

जग क्षितिज पर पाषाणता के, है तुम्हे भी कष्ट दे!
परन्तु उसी जग हेतु तुममे, शेष अति नवनीत है!

तुम नित करो नवनीत वर्षण, जग बदल सकता नही!
पाषाण मानव के ह्रदय में, कृतघ्न एक रीत है!

सत्प्रेमता का इस मनुज में, भाव कोई है नही!
सो त्याग मनुज मेरे मन को, एक तुमसे प्रीत है!


-पियुष द्विवेदी ‘भारत’

Views: 540

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on September 3, 2012 at 8:37am

rajesh kumari

धन्यवाद....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 3, 2012 at 8:34am

पियूष द्विवेदी भारत जी बहुत अच्छी रचना है ओ बी ओ के मंच पर बहुत कुछ सीखने को मिलेगा आपकी लेखनी में सामर्थ्यता  द्रष्टिगोचर हो रही है | शुभकामनाएं 

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on September 3, 2012 at 7:29am

DEEPAK SHARMA KULUVI

शुक्रिया...शुक्रिया...शुक्रिया.!

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on September 3, 2012 at 7:29am

Saurabh Pandey

बधाई हेतु धन्यवाद... बेशक ये रचना हरिगीतिका में हो सकती थी! अभी भी सिवाय चरणों के, कोई विशेष फर्क नही है! पर इन बातों का आभास हमें ये रचना प्रकाशित करने के बाद हुवा, इसलिए हमने छोड़ दिया!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2012 at 10:19pm

पियुष द्विवेदी 'भारत' आपके प्रयास पर बधाई कह रहा हूँ.

लेकिन आप जानिये कि यदि संयत प्रयास हुआ होता तो यह रचना हरिगीतिका छंद में हो सकती थी. 

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on September 1, 2012 at 12:45pm
अतिसुन्दर रचना  भाई मज़ा आ गया  ;;;लिखते रहो......धन्यवाद  & GOOD LUCK
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on August 31, 2012 at 11:25am

SANDEEP KUMAR PATEL

धन्यवाद......

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 31, 2012 at 9:22am

सौन्दर्य तुम्हारा प्रियतमे, सप्तसुर संगीत है!
धरती-गगन संयुक्तता सा, प्रेम अपना गीत है!

 

waah waah kya baat hai

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
3 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service