हिंदी दिवस मना रहे, अंग्रेजी की खान/
कैसे हो हिंदी भला, मिले इसे सम्मान//
मिले इसे सम्मान,ज्ञान का कोष अनूठा/
हर जिव्हा पर आज,शब्द परदेशी बैठा//
कह अशोक सुन बात,भाल पर जैसे बिंदी/
करो सुशोभित आज, देश की भाषा हिंदी//
लाओ फिरसे खोज कर,हिंदी के वह संत/
जिनसे थी प्रख्यात ये,चुभे विदेशी दंत//
चुभे विदेशी दंत, बहा दो हिंदी गंगा/
करते जो बदनाम, करो अब उनको नंगा//
कह अशोक यह बात, दासता दूर भगाओ/
करो विदेशी दूर, देश में हिंदी लाओ//
Comment
हिंदी के सम्मान में लिखी गई एक सुन्दर रचना के लिये बधाई स्वीकारें आदरणीय रक्ताले सर........
धन्यवाद आद. रेखा जी.
हिंदी के प्रति अति सुंदर भाव कुंडलिया छंद में ,हार्दिक बधाई अशोक जी
धन्यवाद आदरणीय भाई अशोक जी !
आदरणीय संदीप जी
सादर, छंद के भाव सराहने के लिए आपका आभार.
आदरेया सीमा जी
सादर, आपकी शुभेच्छाओं के लिए धन्यवाद. हाँ मै शीघ्र ही आदरणीय अम्बरीश जी द्वारा सुझाई त्रुटियों को छंदों हटाने का प्रयास करूंगा.
आदरणीय अम्बरीश जी
सादर प्रणाम, अंग्रेजी की मात्राएँ ठीक से समझ ना आने से त्रुटी हो गयी है. कहा ही जाता है किसी भी बुराई करो तो ठोकर लगाती ही है. मै मात्राओं को सीखने का प्रयास कर रहा हूँ. ढूंड अंग्रेजी से हिंदी में बदलने में आ रही परेशानी के कारण हुआ है.मैंने आम बोलचाल में चल जाता है इसलिए लिख दिया था अवश्य ही यह मेरी भूल थी.
'लगाओ उनको डंडा' यह मेरी बदली हुई पंक्ति है पहले लगभग वही पंक्ति थी जो आपने सुझाई है. किन्तु आप गुरुजन इसे उचित ना माने इसलिए मैंने इसे बदल दिया था.
आपका दोनों ही कुण्डलिया छंदों पर विश्लेषण कर सुझाव देने के लिए आपका हार्दिक आभार. मै अवश्य ही इसे सुधार कर इन छन्दों को पुनः प्रस्तुत करूंगा. आपका पुनः आभार. आपका स्नेहिल आशीष अवश्य ही मेरे लेखन में सुधार लाएगा.
डॉ. प्राची जी
सादर, आपको कुण्डलिया छंद के भाव ठीक लगे जानकार प्रसन्नता हुई. हाँ मात्रिक त्रुटियों पर ध्यान देने पर भी हो ही जाती हैं. मै प्रयत्नशील हूँ इस प्रमुख गलती को सुधारने के लिए.अवगत कराने के लिए. धन्यवाद.
आदरेया सीमा जी, अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार !
कह अशोक सुन बात,भाल पर जैसे बिंदी
करो सुशोभित आज, देश की भाषा हिंदी
आदरणीय अशोक जी, हिंदी को उपेक्षा से उभारने के इस सद्प्रयास हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें! सादर,
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