For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कवित्त पर एक प्रयास.

मारा गया फ़कीर जो गया वह रोटी लाने,
बहती थी नदिया वेग तेज बहुत था /
मचा हाहाकार कोहराम कोई नहि जाने,
हुआ पानी लहू का वेग तेज बहुत था /

दीप बुझे कई देखो बाती जैसे टूट गई,
यों बही पुरवाई झोंका तेज बहुत था /
सिमट गए मानव मूल्य माता रूठ गई,
पश्चिम की आंधी का झोंका तेज बहुत था /

Views: 427

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 3, 2012 at 11:44pm

आदरणीय बागी जी

              सादर नमस्कार, यह कवित्त पर मेरा प्रथम प्रयास था. कुछ असमंजस भी था, बहुत डरते डरते मैंने इस रचना को प्रस्तुत किया है. आगे मै इसके प्रवाह पर भी नजर रखूंगा. आभार.

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 3, 2012 at 11:41pm

गौरव जी

          सादर, धन्यवाद.

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 3, 2012 at 11:40pm

आदरणीय सौरभ जी

                   सादर, अवश्य ही आपको कठिनाई महसूस हुई होगी. वर्ण गणना सही रखने के प्रयास में यह त्रुटी हुई है.

           मेरा प्रयास इन पंक्तियों में गरीब मानव के जीवन का कोई मोल ना रह जाने पर प्रकृति की खिन्नता को दर्शाना और अंतिम पंक्ति में इसके पीछे धनवानों में चमक दमक का प्रभाव बढ़ जाना. यही मै लिखने का प्रयास कर रहा था.

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 3, 2012 at 11:33pm

फूलसिंह जी

              रचना के भाव सराहने के लिए. आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 3, 2012 at 11:01pm

आदरणीय रक्ताले साहब, इस कवित्त में प्रवाह नहीं बन रहा , भाव अच्छे हैं किन्तु संयोजन का अभाव है, प्रयास पर बधाई स्वीकारें |

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 3, 2012 at 10:43pm

सुन्दर रचना आदरणीय रक्ताले सर.......बधाई.......


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 3, 2012 at 10:37pm

इस कवित्त / मनहरण घनाक्षरी का कथ्य बहुत ही प्रभावी है, भाई अशोक जी.  हृदय से बधाई.यों, दूसरे पद के तीसरे-चौथे चरण का भाव बहुत स्पष्ट नहीं हुआ. संभवतः लिखने के बहाव में युक्ति-संगत संतुलन का अभाव हो गया.

सधन्यवाद

Comment by PHOOL SINGH on September 3, 2012 at 2:27pm

अशोक जी नमस्कार,

बहुत ही सुंदर भावाव्यक्ति..

फूल सिंह 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service