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गुरु ऐसा दीजिये प्रभु,चेला बने महान II
गुरु की भी अटकी रहे,चेले में ही जान II
चेले में ही जान,काम ऐसे कर जाए I
खुद का जो हो नाम,मशहूर गुरु हो जाए II
चेला ले गुरु नाम,सदा इश्वर के जैसा I
होवे बेड़ा पार, मिले जीवन गुरु ऐसा II


शिक्षा सदा वशिष्ठ से, पाते हैं श्रीराम I

और है श्रीकृष्ण से,सांदिपनी का नाम II
सांदिपनी का नाम, इश्वर भाग्य विधाता I
चतुर चाणक्य नाम,याद बरबस आ जाता II
चंदु बना सम्राट , चाणक्य मांगता भिक्षा I
होता है गुरु नाम, सही मिलती जो शिक्षा II

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Comment

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Comment by Ashok Kumar Raktale on September 5, 2012 at 12:11am

आदरेया राजेश कुमारी जी

                            सादर, धन्यवाद.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 4, 2012 at 12:58pm

अशोक कुमार रक्तेला जी शिक्षक दिवस के अवसर में आपने बहुत सुन्दर बेहतरीन कुंडलियाँ रची हैं हार्दिक बधाई आपको 

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 4, 2012 at 12:45pm

आदरणीय संदीप जी

                     सादर, आपको कुण्डलिया के भाव पसंद आये जान कर प्रसन्नता हुई. स्नेह बनाए रखें. धन्यवाद.

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 4, 2012 at 12:43pm

आदरणीय बागी जी

                      सादर, मैंने रचना को सुधार कर दिया है. आपके सहयोग के लिए नमन.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on September 4, 2012 at 12:15pm

आदरणीय अशोक जी,

बहुत ही सुन्दर भाव समेटे ये कुण्डलियाँ बहुत ही पसंद आईं! गुरु शिष्य के अंतर्संबंध और महत्व को प्रतिपादित करती आपकी रचना हेतु बधाई स्वीकार करें! साभार,


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 3, 2012 at 11:13pm

गुरु ऐसा दे दे प्रभु

11   22   2 2 11=12

चंदु बना सम्राट , चाणक्य मांगे भिक्षा

21   12  221     221     22 12 =23

भाव सम्प्रेषण बहुत ही बढ़िया, सुन्दर कुंडलियों के लिए बहुत बहुत बधाई |

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 3, 2012 at 11:04pm

प्राची जी

            सादर, गुरु महिमा में लिखी कुण्डलिया के भाव आपको अच्छे लगे जानकार प्रसन्नता हुई. यदि आप त्रुटियों पर कुछ और रौशनी डालती तो मेरा काम आसान होता. मात्रा की गणना  पर मेरा अभ्यास जारी है.

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 3, 2012 at 10:57pm

आदरणीय लड़ीवाला जी

                            सादर, आभार आपको गुरु गुणगान पसंद आया.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 3, 2012 at 2:50pm

बहुत सुन्दर गुरु महिमा दर्शाती कुण्डलिया हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय अशोक रक्ताले जी , कहीं कहीं मात्रा गणना कम-ज्यादा हो रही हैं, कृपया पुनः अवलोकन कर ले. सादर.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 3, 2012 at 2:36pm

 सुन्दर चित्रण गुरु सिष्य का भाई अशोक कुमार रक्ताले जी, अगर शिष्य सही है तो गुरु का भी जगत में सम्मान बढ़ता ही है और गुरु सही ज्ञान देता है तो गुरु के सम्मान से बढ़कर कोई गुरु दक्षिणा नहीं है 

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