नेता
१
नेता सा वह आदमी, होता था जो आम /
जा संसद में बैठता, होता है बदनाम //
होता है बदनाम, काम के लेता पैसे /
दिया अमूल्य वोट, दें फिर कैसे पैसे //
गया महल में बैठ, रहा झुग्गी में सोता /
बन गया ये खास, आम रहा नहीं नेता //
२
बोले हरदम झूठ जों, नेता वही कहाय/
ओछे करके काम जों, मोटा माल बनाय//
मोटा माल बनाय,निराले सपन दिखाता/
भूखा सोय गरीब, ये मोबाईल लाता//
बोले यही अशोक, बचो धोखे से भोले/
नेता वही कहाय, हरदम झूठ जों बोले//
वीर
सीमा पे चौकस सदा, रहता वीर जवान/
आजाए दुश्मन कभी, करता काम तमाम//
करता काम तमाम, छुडा देता है छक्के/
देख वीर का जोश, रहे सब हक्के बक्के//
सदा सुर्य सा तेज, कभी होता नहि धीमा/
जब हों ऐसे वीर, सुरक्षित रहती सीमा//
आतंक
फैला हर इक देश में, यह जहरीला डंक/
करता निर्मम वार ये, कहलाता आतंक//
कहलाता आतंक, वार ये सब पे करता/
मरते कितने लोग, बुढा बच्चा है मरता//
उजड़े कई सुहाग,हुआ दामन भी मैला/
पड़ते नफ़रत बीज, जब आतंक है फैला//
Comment
श्री रक्ताले जी , शुरू से लेकर आखिर तक सुन्दर ! क्या बखान किया है नेता का , वाह ! मेरा सलाम क़ुबूल करें
अशोक जी नमस्कार
वह वह सर कमाल कर दिया आपने उत्तम प्रस्तुति .........रचना के लिए बधाई
फूल सिंह
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