For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सावन   नभ  पर    छा गया,  हरियाए    सब  खेत/

हरियाली     छा   ने   लगी,  ओझल   बालू    रेत//

ओझल   बालू    रेत,     हरित    होते  सब  जंगल/

कल कल नदी का शोर, बहे झरने भी निर्मल//

सुन कोयल की  तान, नाचे शिखी भी उपवन/

‘अशोक’समझ न पाय, लाय मद कैसे सावन//

( कुछ त्रुटियां संज्ञान में आने पर सुधार के पश्चात पुनः पोस्ट किया है.)

Views: 426

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 9, 2012 at 8:43am

आदरणीय बागडे साहब

                             सादर, सुन्दर प्रतिक्रया. आपका स्नहे पाकर प्रसन्नता हुई. धन्यवाद.

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 9, 2012 at 8:42am

आदरणीय मिश्रा जी, आ. अरुण शर्मा जी आपने कुंडलियाँ पढ़ी,पसंद की. बहुत बहुत शुक्रिया.

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 8, 2012 at 11:55am

बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ अशोक जी , क्या बात

Comment by AVINASH S BAGDE on August 8, 2012 at 10:27am

‘अशोक’समझ न पाय, लाय मद कैसे सावन//...koun samajh paya

अशोक कुमार जी.सुन्दर कुण्डलियाँ

Comment by UMASHANKER MISHRA on August 7, 2012 at 10:26pm

अशोक कुमार जी बहुत सुन्दर चित्रण किया है मनोरम है

बहुत बहुत बधाई

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 7, 2012 at 10:16pm

आदरणीय संदीप जी, रेखा जी, गौरव जी आपको कुंडलिया पसंद आयी जानकार प्रसन्नता हुई. आभार.

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 7, 2012 at 11:06am

वाह रक्ताले सर...अति सुन्दर कुण्डलिया....बधाई.....

Comment by Rekha Joshi on August 6, 2012 at 12:16pm

अशोक जी ,बहुत सुंदर कुंडलिया ,मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें 

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on August 6, 2012 at 10:56am

सुन्दर कुण्डलियाँ बधाई आद. अशोक जी!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
4 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service