(चार चरण, १६ + १२ =२८ मात्राएं और अंत में लघु गुरु)
हरि जनम हो मन आस लेकर, भीड़ भई अपार है/
हरि भजन गुंजत चहुँ दिसी अरु,भजत सब नर नार हैं//
झांझ बाजै है झन झनक झन , ढोल की ठपकार है/
मुरली बाजत मधुर शंख ही, गुंजाय दरबार है//
हरि घन घनन घन आसमा पर, जोर की बरसात है/
मन मेरा पर आँखे मीचे, प्रभु दरस की आस है//
सजे द्वार सुन्दर घर सकल, नगर कारागार है/
सजे श्याम सुन्दर हर हरिहर, सजा हरि दरबार है//
Comment
आदरणीय अशोक जी इस पहले प्रयास पर बहुत-२ बधाई स्वीकार करें
संदीप जी
सादर, आप बिलकुल ठीक कह रहे हैं.मेरा प्रयास जारी है, मै आदरणीय सौरभ जी द्वारा दी गयी सलाह पर अमल कर आगे छंद को सही बनाने का प्रयास करूँगा. यदि आपने त्रुटियों के बारे में कुछ ज्ञान प्रदान किया होता तो और भी प्रसन्नता होती. आगे भी इसी तरह सहयोग कि अपेक्षा रहेगी. धन्यवाद.
इस प्रथम प्रयास को साधुवाद साहब
और प्रयास कीजिये संभवतः कुछ कमियाँ हैं
इससे छंद के प्राण संकट में जान पड़ते हैं
इसे गुरजन की अमोघ संजीवनी की आवश्यकता सी जान पड़ती है
आदरणीय बाली जी
नमस्कार, बहुत खुशी होती है जब एक नायाब गजलकार छंदों कि तारीफ़ करता है. स्नहे बनाए रखें. धन्यवाद.
आदरणीय अलबेला जी, गौरव जी, आदरणीय अरुण जी सादर, आप सभी कि प्रशंसा मुझे अपनी त्रुटीयाँ सुधारने में मदत करेगी. धन्यवाद.
अशोक भाई नमस्कार ! प्रभु जनम पर आपका यह सुंदर प्रयाश भक्ति भाव से ओत प्रोत कर दिया। सुंदर छंद पर मेरी तरफ से भी बधाई स्वीकार करें !!
झांझ बाजै है झन झनक झन , ढोल की ठपकार है/
हरि घन घनन घन आसमा पर, जोर की बरसात है/
आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी, इन पंक्तियों में ध्वन्यात्मकता देखते ही बन रही है. सुंदर हरिगीतिका वातावरण को भक्तिमय कर रही है.
सुंदर छंद सृजन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
भक्तिमय प्रस्तुति.......मन को भाती हुई.......प्रभु चरणों में नत है मेरा भी शीश.......
waah waah kya kahne....
झांझ बाजै है झन झनक झन , ढोल की ठपकार है/
मुरली बाजत मधुर शंख ही, गुंजाय दरबार है//
हरि घन घनन घन आसमा पर, जोर की बरसात है/
मन मेरा पर आँखे मीचे, प्रभु दरस की आस है//
__bahut khub !
आदरणीय सौरभ जी
सादर नमस्कार, मै इस साहित्यिक मंच पर जो देखता सीखता हूँ, शैली सुधार कि द्रष्टि से उसे यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ. आपका मार्ग दर्शन मुझे आगे भी मंच पर नयी विधाओं में लिखने के लिए प्रेरित करेगा.आप से सदा ऐसे ही सहयोग कि आस रहेगी. आभार.
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