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रचना की सराहना व उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोर जी
दार्शनिक संकेतों से भरपूर, उज्जवल भाव।
पढ़ कर मन आनन्दित हुआ।
सादर,
विजय
आपकी गुणग्राह्यता के लिए साधुवाद आ. प्रदीप जी
सिखने को मिलता है
बधाई सादर
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी,
मानवीय अन्वेषी विचारधारा, भले हम उसे मनोवैज्ञानिक सोच की संज्ञा दे दें, भौतिक स्वरूप के सूक्ष्म-तत्त्व को छूता है जो वस्तुतः चार अवयवधारी अंतःकरण है. डॉ.प्राची, आपकी इस रचना में भौतिक स्वरूप में दीखते उदार विन्यास का कारण बड़े ही सांकेतिक रूप से हुआ है. सूक्ष्म वैसे भी संकेतों में ही व्याख्यायित हो सकता है.
आशा और निराशा के बीच असंतुलन में दीखती मनोदशा को आखिरकार प्रकृति आशा की किरणों से आच्छादित करती है, नव-सृजन संभावनाओं को जीवित रखता है, रचनाकार की दृष्टि से इन विन्दुओं को देखना भला लगा.
एक अलग तरह की रचना के लिये आपको बहुत-बहुत बधाई, डॉक्टर साहिबा. .. सादर ..
इस रचना पर आपकी सराहना और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय अरविन्द जी
बेहद ख़ूबसूरत कविता...शब्दों का सही इस्तेमाल
आपके अनुमोदन हेतु आभार शालिनी कौशिक जी
इस रचना के शब्द व भाव आपको पसंद आये , इस हेतु आपकी आभारी हूँ शिखा कौशिक जी.
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