गज़ल के विषय में मेरा ज्ञान ना के बराबर भी शायद ही हो, फिर भी प्रयास कर रहा हूँ ! आशा है, आशीष रहेगा !
तुमसे जो चंद बात में कुछ पल ठहर गया !
जरा खबर ना हुई बड़ा लम्हा गुज़र गया !
अमृत ही पाने को निकला था सफर पे मै !
पीछे मधु की बूंदों के सारा सफर गया !
हुनर-ए-जमात यूं तो मेरे भी पास थी !
दौर-ए-नुमाईश में मगर सब हुनर गया !
जीत के हर वक्त में बाजू-ए-यकीन था !
पर जो हारा दोष सब किस्मत पे धर गया !
कल को बनाने में सारी जिन्दगी गुज़री !
कल तो बन नही पाया आज भी बिखर गया !
आरजू-ए-जिन्दगी थी क़यामत दौर तक !
पर करम ऐसे किए कि जीते जी मर गया !
-पियुष द्विवेदी ‘भारत’
Comment
प्रिय पियूष जी, जो कुछ मैं कहना चाहता था उसे वीनस भाई कह चुके है, यदि आपका पहला प्रयास यह है तो मेरा दावा है कि आप बहुत आगे जा सकते है, आपमें संभावनायें बहुत है, बस प्रयास करें और इसी ग़ज़ल को २२१ २१२१ १२२१ २१२ पर बैठाने का प्रयास करें |
आसानी के लिए एक धुन बता देता हूँ , उसी धुन में आप इस ग़ज़ल को गुनगुनाइए .......
हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया ....
इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें |
तुमसे जो चंद बात में कुछ पल ठहर गया !
पियुष जी,
यह पहली पंक्ति ही आपके अंदर छुपे शायर को बज़्म में खड़ा करने के लिए पर्याप्त है जो जनकारों तक यह बात पहुंचा रही है कि आपमें अपार संभावना है
आपको बता दूं कि यह पंक्ति एक बहर जिसकी मात्रा २२१ २१२१ १२२१ २१२ पर बिलकुल फिट बैठ रही है
रदीफ काफिया का पालन भी आपने ब-खूबी किया है और कहन भी आपके पास दमदार है
बस बात बहर पर आ कर अटक रही है मगर पूरा विश्वास है कि ओ बी ओ मंच पर बने रहे तो यह अटकाव भी जल्द ही आपके प्रयासों के प्रवाह के आगे टिक नहीं सकेगा
आने वाला कल आपना है बशर्ते आप मेहनत से जी ना चुराएं और तिलक जी की क्लास को मन लगा कर पढ़ें और समझें
शुभकामनाओं सहित
सादर
धन्यवाद आदरणीय रक्ताले जी.......
पियूष जी
सादर, गजल कि बहुत अधिक जानकारी नहीं है किन्तु सभी आशार बहुत सुन्दर लगे. बधाई स्वीकारें.
बहुत बहुत धन्यवाद संदीप भाई जी....
आदरणीय पियूष जी सादर
आपके इस प्रयास को बहुत बहुत बधाई
आशा करता हूँ अगला प्रयास और भी अच्छा और सुखद होगा
आदरणीय राजेश कुमारी जी.... आपको ये गज़ल बेहतर लगी, ये जानकार बहुत अच्छा लग रहा है ! बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद ! यूं ही स्नेहाशीष कायम रखें !
कल को बनाने में सारी जिन्दगी गुज़री !
कल तो बन नही पाया आज भी बिखर गया !------पूरी ग़ज़ल के साथ इस शेर के लिए विशेष दाद कबूल करें
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