नेता है तो देश है..!
(courtesy Google Images)
नेता नेता क्या करता है, नेता है तो देश है..!
छद्म छलावा, रूप निराला,क्यों करता अंदेश* है? (संदेह)*
क्यों करता अंदेश* है? मौज उड़ा ले,जश्न मना ले,
नानी तेरी मर गई क्या, फटीं हुई क्यों ड्रेस है?
नेता नेता क्या करता है, नेता है तो देश है..!
फटीं हुई क्यों ड्रेस है,साड़ी पहन,खादी पहन,
नहीं तो तु, बर्बादी पहन, तेरे नाम संदेश है..!
नेता नेता क्या करता है, नेता है तो देश है..!
तेरे नाम संदेश है, गांधी बेचा, नेहरू बेचा,
तु बाक़ी है, तु भी आजा, क़ीमत राशि कैश है..!
नेता नेता क्या करता है, नेता है तो देश है..!
क़ीमत राशि कैश है,बिका नहीं तो,रह जायेगा,
जो मिले अमृत बराबर, किस्मत तेरी ऐश है..!
नेता नेता क्या करता है, नेता है तो देश है..!
किस्मत तेरी ऐश है,कल बिका तो ज़हर बराबर,
देख ले अपनी ओर ज़रा, लगता तु दरवेश है..!
नेता नेता क्या करता है, नेता है तो देश है..!
लगता तु दरवेश है, भूखों मरेगा,कष्ट सहेगा,
मस्त हो जा, भ्रष्ट हो जा, हमें देता क्यों ठेस है..!
नेता नेता क्या करता है, नेता है तो देश है..!
छद्म छलावा, रूप निराला, करता क्यों अंदेश* है? (संदेह)*
मार्कण्ड दवे । दिनांक-२५-०४-२०११.
Comment
@ श्री गणेशजी,
पिछले बंध के अंतिम अंश को दोहराने से, अगले बंद का अर्थ का संधान सरलता से करने हेतु यह शैली अपनाई है । इसे कई बार कई काव्य, गीत में कई नामी रचनाकार ने प्रयोग में लिया है । वैसे एक छोटा सा स्वरकार होने के नाते मेरे ज़हन में पहले गीत की ट्यून आती है बाद में शब्द..!
आपको रचना अच्छी लगी, आपका बहुर-बहुत शुक्रिया-धन्यवाद ।
बहुत ही शानदार अभिव्यक्ति, बधाई आदरणीय दवे साहब, एक चीज पूछना चाहता हूँ केवल अपनी जानकारी बढाने के उद्देश्य से ...पिछले बंद से कुछ अंश लेकर अगले बंद को रची गई है, क्या यह काव्य की कोई विशेष शैली है ?
फटीं हुई क्यों ड्रेस है,साड़ी पहन,खादी पहन,
नहीं तो तु, बर्बादी पहन, तेरे नाम संदेश है..!...मार्कंड दवे जी सुन्दर अभिव्यक्ति
//क़ीमत राशि कैश है,बिका नहीं तो,रह जायेगा,
जो मिले अमृत बराबर, किस्मत तेरी ऐश है..!//
वाह वाह वाह आदरणीय मार्कंड दवे जी बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है, बधाई स्वीकार करें.
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