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MARKAND DAVE.
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Gender
Male
City State
AHMADABAD
Native Place
AHMADABAD
Profession
Managing Director. (1) M.K.ARTS PVT.LTD. (2) M.K.RECREATION PVT.LTD.
About me
MANAGING DIRECTOR. ; JOURNALIST AND CULAMIST, EDUCATIONALIST, poetry ; prose writer ; Music composer - Director ; Electric Guitar Player

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ख़्वाबों की बातें । (गीत)

ख़्वाबों की  बातें, अकसर किया करते  हैं  वो..!

फिर  शब-ए-तन्हाई  में,  रोया  करते  हैं  वो..!

शब-ए-तन्हाई= रात का अकेलापन;

ज़िंदगी  में कई  हादसे, आप ने  झेले  मगर..!

टूटे ख़्वाबों का  शिकवा  किया  करते  हैं  वो..!

ख़्वाबों की  बातें, अकसर किया करते  हैं  वो..!

शिकवा=शिकायत,

बिखरा सा  वो  ख़्वाब  और  अँधेरी  वो  रात..!

हाँ, मातम अब उनका, मनाया  करते  हैं  वो..!

ख़्वाबों की  बातें, अकसर किया करते  हैं …

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Posted on September 17, 2014 at 5:00pm — 2 Comments

यादों की बारिश..! (गीत)

यादों की बारिश हो रही है, पलपल ऐसे..!

सूखी नदी में हो, झरनों की हलचल जैसे..!

१.

दिल का चमन शायद, गुलगुल हो न हो मगर,

ख़्वाब होगें ज़रूर गुलज़ार, हो मलमल जैसे..!

सूखी नदी में हो, झरनों की हलचल…

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Posted on April 2, 2013 at 12:30pm — 4 Comments

ओ..री कुरसी माई । (व्यंग गीत)

चुनाव  में  हारे  हुए  नेताजी  की  व्यथा ?

ओ..री  कुरसी  माई । (व्यंग…

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Posted on December 5, 2012 at 10:00am — 2 Comments

चलो,वॉट करें।

Posted on November 25, 2012 at 11:27am — 3 Comments

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At 11:35am on December 7, 2012, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…

जन्म दिन की हार्दिक शुभ मंगल कामनाए । प्रभु आपको घर परिवार समाज और राष्ट्र 

की सेवा करने हेतु उत्तरोतर शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करे । 
At 3:43pm on October 12, 2012, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…

स्वागत है,  मित्र श्री मकरंद दवे जी, 

जब मित्र है फिर मुझे sir न कहो जी 
At 10:04am on October 12, 2012, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…

आपके साथ मित्रता स्वीकार करते हुए मुझे हर्ष हो रहा है श्री मकरंद दवे जी

आपतो उस राज्य के वासी है जहाँ साबरमती के संत हुए है 
आपतो उस राज्य का प्रतिनिधित्व करते है जहाँ द्वारिका है 
मुझे उम्मीद है मकरंद की शुश्बू से मेरा मन सुगन्धित होगा 
मुझे उम्मीद है हम विचारो के आदान-प्रदान से लाभान्वित होंगे 
जय हिंद  
 
 
 

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"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
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"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
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"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
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"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
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