For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यादों की बारिश..! (गीत)

यादों की बारिश हो रही है, पलपल ऐसे..!

सूखी नदी में हो, झरनों की हलचल जैसे..!

१.

दिल का चमन शायद, गुलगुल हो न हो मगर,

ख़्वाब होगें ज़रूर गुलज़ार, हो मलमल जैसे..!
सूखी नदी में हो, झरनों की हलचल जैसे..!

गुलगुल=मुलायम; गुलज़ार=हराभरा

२.

दर्द - दरख़्त बूढ़ा, सो गया है साहिल पर,
फिर जागेगा वह, जवानी हो चंचल जैसे..!
सूखी नदी में हो, झरनों की हलचल जैसे..!

दरख़्त=पेड़; साहिल = तट

३.

दब गया पारा - ए - दिल, घाव के संग तले,
फिर आयेगा ऊपर, फाड़ कर दलदल जैसे..!
सूखी नदी में हो, झरनों की हलचल जैसे..!

पारा-ए-दिल= दिल का एक टूकड़ा; संग=पत्थर

४.

जमकर बरसना अय तसव्वर, तुम क्या जानो,
तरस गये हैं कान, सुनने को कलकल कैसे..!
सूखी नदी में हो, झरनों की हलचल जैसे..!

तसव्वर=याद; कलकल=जल के बहने से उत्पन्न मधुर शब्द ।

© मार्कण्ड दवे । दिनांकः ०१-०४-२०१३.

Views: 484

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 3, 2013 at 3:31pm

आदरणीय दवे जी बहुत ही सुन्दर गीत प्रस्तुत किया है आपने, यादों की बारिश हो रही है पल पल ऐसे, सूखी नदी में हो झरनों की हलचल जैसे, मुखड़े में चार चाँद जड़ दिया आपने, सूखी नदी में हलचल करवा दी आपने, क्या बात है क्या कहने,

दर्द - दरख़्त बूढ़ा, सो गया है साहिल पर,
फिर जागेगा वह, जवानी हो चंचल जैसे..! वाह वाह वाह आदरणीय खास इस पंक्ति के लिए कुछ ज्यादा ही बधाई स्वीकारें.

Comment by राजेश 'मृदु' on April 3, 2013 at 1:08pm

सुंदर गीत के लिए आपका हार्दिक आभार

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 3, 2013 at 8:17am

आदरणीय, मार्कण्ड दवे जी, सुप्रभात! आपने यथार्थ सत्य कहा है कि नदियां और जीवन दोनो ही पूरी तरह से सूख चुकी हैं। यह दोनों ही किसी साहिल के विषय में सोच भी नही सकती बस यूं ही मजधार में पड़े रहकर किसी यादों की बारिश..कृष्णं वंदे जगद्कुरूं की आश/बांट जोह रही है। बहुत सुन्दर गीत और सुन्दर बिचार साझा करने हेतु आपको हार्दिक बधाई और साधुवाद।

Comment by Monika Dubey on April 2, 2013 at 10:21pm

गीत आशावादी सोच को व्यक्त करता है बहुत -बहुत बधाई .....मार्कंड जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service