For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आग लगाकर इक पुतले को परचम लहराएगी जनता

आग लगाकर इक पुतले को परचम लहराएगी जनता
असली रावण मंच विराजित जय कारे गायेंगी जनता
दस शीशों से पहचाना था जिस रावण को पुरसोत्तम ने
कल युग में बस एक शीश से कैसे पहचानेगी जनता ?

कुम्भकरण भर पेट पड़े हैं इन्द्रप्रस्थ के दरबारों में
भांति भांति के इन्द्रजीत हैं गली गली में चौबारों में
चोरों की चौपाल जहाँ हो वहां भला क्या होगी समता
कल युग में बस एक शीश से कैसे पहचानेगी जनता ?

दूषित मन की अभिलाषाएं अखबारों की ताजा ख़बरें
चौराहे पर स्वेत वस्त्र में लिपटे हैं लावारिश सपने
लोकतंत्र में गांधी जी की तस्वीरों की मन में ममता (मुद्रा ..पैसा )
कल युग में बस एक शीश से कैसे पहचानेगी जनता ?

आदर्शों की पगडण्डी पर चलना केवल सपने जैसा
....सत्य शब्द के नयें अर्थ हैं झूठे वादे करने जैसा
कर्म कुकर्म न हो यदि तेरा जीने का फिर हक़ ना बनता
कल युग में बस एक शीश से कैसे पहचानेगी जनता ?

अपने ही भारत में रहना परदेशी का स्वागत करना
कितना ही खूंखार भले हो स्वागत उसका मन से करना
आरक्षण के दशहेरे बिन फिर से रावण नहीं है बनता
कल युग में बस एक शीश से कैसे पहचानेगी जनता ?....मनोज

Views: 374

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vinita Shukla on October 26, 2012 at 11:37am

वर्तमान परिस्थितियों पर प्रश्न्चिन्ह खड़े करती हुई सुन्दर रचना. बधाई.

Comment by UMASHANKER MISHRA on October 26, 2012 at 12:19am

मनोज जी आज की  दशा पर बहुत दमदार अभिव्यक्ति है 

आपने बहुत कुछ कह दिया जो भी कहा सच ही कहा है 

ह्रदय से बधाई स्वीकारें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 25, 2012 at 10:29am

मनोज जी बहुत बढ़िया व्यंग्यात्मक प्रवाह युक्त सामयिक कविता बहुत बहुत बधाई आपको कहीं कही टंकण त्रुटी है दूर कर लीजिये 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 24, 2012 at 11:51am

//कल युग में बस एक शीश से कैसे पहचानेगी जनता ?//

वाह मनोज जी वाह, रावण को प्रतिक बनाकर बहुत कुछ कह दिया है, आज के परिवेश में बहुत ही सटीक कटाक्ष, इस खुबसूरत अभिव्यक्ति पर बधाई और विजयादशमी के पवन पर्व पर ढ़ेर सारी शुभकामनायें स्वीकार हो |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
6 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
17 hours ago
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service