For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कौन बचाए अस्मित माँ की

देश चलाने वाले ही जब बिकने को तैयार खड़े हों
पैदा होते ही बचपन का पालन पोषण कर्ज तले हो
आम आदमी के घर में हो दो रोटी की खातिर दंगे
कौन बचाए अस्मित माँ की जिसके लाल दलाल बने हों ।।

धर्म नाम की धोखेबाजी मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे में
रक्तपात के उपदेशों का पाठ चल रहा हर द्वारे में
घोटालों की राजनीति में सब गुदड़ी के लाल पड़े हों
कौन बचाए अस्मित माँ की जिसके लाल दलाल बने हों ।।

हिजड़ों की बस्ती के दर्शन दिल्ली के दरबार मिलेंगे
संचालक मैडम के आसन दस जनपथ के पार सजेंगे
संसद में दाखिल वो होगा जिसके करतल खून सने हो
कौन बचाए अस्मित माँ की जिसके लाल दलाल बने हों ।।

सरकारी गुंडे खाखी में खादी पहने अपराधी हैं
चोर -चोर मौसेरे हैं सब धेय एक बस बर्बादी है
कुर्सी पर बैठे हैं कुत्ते दुर्लभ दर्शन यदि करने हों
कौन बचाए अस्मित माँ की जिसके लाल दलाल बने हों ।।

हे सूर्यवंश के रघुवर राया चन्द्र वंश के केशव कान्हा
ये मेरा भारत डूब रहा है जल्दी से दर्शन दे जाना ।।
आर्यों की इस धर्म भूमि पर पुनः महाभारत रचने दो
कौन बचाए अस्मित माँ की जिसके लाल दलाल बने हों ।।........... मनोज

Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 7, 2012 at 9:19am

मनोज नौटियाल जी, इस व्यस्था के दोहरेपन पर जनमानस के आक्रोश को बहुत खूब शब्द देकर अभिव्यक्त किया है...हार्दिक बधाई 

Comment by वीनस केसरी on December 7, 2012 at 3:17am

समाज की दुर्दशा का सचित्र वर्णन कर दिया भई

रचना खूप पसंद आई
हार्दिक बधाई स्वीकारें
शुभकामनाएं


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 6, 2012 at 9:25pm

कहन से समृद्ध उच्च भाव-रचना के लिये बधाई, भाई मनोजजी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 6, 2012 at 9:15pm

नौटियाल साहब,इस रचना में आपने देश की हकीक़त को रख दिया है, बहुत ही सार्थक रचना बन पड़ी है, हां एक बात कहूँगा कि मेरे समझ से शब्द अस्मत या अस्मिता है अस्मित नहीं |

इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें |

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 6, 2012 at 4:10pm

बहुत सुन्दर लिखा है आदरणीय बधाई आपको

Comment by MAHIMA SHREE on December 6, 2012 at 4:09pm

 देश के वर्तमान   दयनीय हालात पर उपजा आपका आक्रोश ... सबकुछ कह गया ..

 हार्दिक बधाई आपको मनोज जी//

Comment by लतीफ़ ख़ान on December 6, 2012 at 12:31pm

जनाब मनोज नौटियाल जी ,,, देश की दुर्दशा और राजनीतिज्ञों के घिघौने कारनामों पर उंगली उठाती सशक्त रचना पर  हार्दिक बधाई ...

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 6, 2012 at 11:43am

बेहद गहन अभियक्ति सर बहुत ही प्रभावशाली पंक्तियाँ बधाई स्वीकारें

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 6, 2012 at 11:35am

हे सूर्यवंश के रघुवर राया चन्द्र वंश के केशव कान्हा 
ये मेरा भारत डूब रहा है जल्दी से दर्शन दे जाना ।।
आर्यों की इस धर्म भूमि पर पुनः महाभारत रचने दो 
कौन बचाए अस्मित माँ की जिसके लाल दलाल बने हों ।।....बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति हार्दिक बधाई स्वीकारे 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service