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चली राम की सेना रावण का दंभ मिटाने !

विजयदशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें !


धर्म पताका फहराने , पापी को सबक सिखाने ,

चली राम की सेना रावण का दंभ मिटाने !

हर हर हर हर महादेव !

 

रावण के अनाचारों से डरकर  वसुधा है डोली ,

दुष्ट ने ऋषियों के प्राणों से खेली खून की होली ,

सत्यमेव जयते की ज्योति त्रिलोकों में जगाने !

चली राम की सेना ........................

हर हर हर हर महादेव !

 

तीन लोक में रावण के आतंक का बजता डंका ,

कैसे मिटेगा भय रावण का देवों को आशंका ?

मायावी की माया से सबको मुक्ति दिलवाने !

चली राम की सेना ........................

हर हर हर हर महादेव !

 

जिस रावण ने छल से हर ली पंचवटी से सीता ,

शीश कटे उस रावण का , करें राम ये कर्म पुनीता ,

पतिव्रता नारी को खोया सम्मान दिलाने !

चली राम की सेना ......

हर हर हर हर महादेव !

 

एकोअहम के दर्प में जिसने त्राहि त्राहि मचाई ,

उस रावण का बनकर काल आज चले रघुराई ,

निशिचरहीन करूंगा धरती अपना वचन निभाने !   

चली राम की सेना .....................

हर हर हर हर महादेव !

 

                                                   शिखा कौशिक 'नूतन' 

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Comment

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Comment by Vinita Shukla on October 26, 2012 at 11:36am

सुन्दर, ओजपूर्ण अभिव्यक्ति. एक सार्थक, समसामयिक रचना. बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 25, 2012 at 10:33am

शिखा जी बहुत सुन्दर प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी हार्दिक बधाई आपको और विजय दशमी पर्व  की शुभकामनाएं 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 24, 2012 at 9:52am

शिखा जी, आपकी रचनायें सदैव ही गूढ़ संदेशों से ओत प्रोत होती हैं, यह रचना भी उससे इत्तर नहीं है, बहुत ही सामयिक और ससक्त प्रस्तुति है, इस शानदार अभिव्यक्ति पर बधाई और विजय पर्व की अनेकानेक शुभकामनायें स्वीकार हो |

Comment by shalini kaushik on October 23, 2012 at 11:39pm
बहुत सामयिक व् शानदार प्रस्तुति .आपको भी विजयदशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें.

कृपया ध्यान दे...

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