For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

shalini kaushik
  • up
  • India
Share on Facebook MySpace

Shalini kaushik's Friends

  • Tapan Dubey
  • Sanjay Rajendraprasad Yadav
  • Deepak Sharma Kuluvi
  • Ratnesh Raman Pathak
  • Rash Bihari Ravi

shalini kaushik's Discussions

क्या केजरीवाल का ये तरीका सही है ?
14 Replies

क्या केजरीवाल का ये तरीका सही है ?अक्सर मन में विचार आता है कि क्या अरविन्द केजरीवाल द्वारा लगातार ढूंढ ढूंढकर भ्रष्ट नेताओं को निशाना बनाना व् आरोपों की झड़ी लगाने का तरीका सही है ?सभी जानते हैं कि…Continue

Started this discussion. Last reply by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला Nov 7, 2012.

सच्चाई आज की ;मेरी नज़रों में
3 Replies

आज दशहरा है और आस पास के घरों में बाहर गए बेटे बहुओं की…Continue

Tags: parivar, ke, aaj

Started this discussion. Last reply by shikha kaushik Oct 24, 2012.

 

Welcome, shalini kaushik!

Profile Information

Gender
Female
City State
kandhla/utter pradesh
Native Place
kandhla
Profession
advocate
About me
i want to help victims.i love my sister very much.i hate childish person.i like sweet....

Shalini kaushik's Blog

क़त्ल करने मुझे देखो , कब्र में घुस के बैठे हैं .

नहीं वे जानते मुझको, दुश्मनी करके बैठे हैं ,

मेरे कुछ मिलने वाले भी, उन्हीं से मिलके बैठे हैं ,



समझकर वे मुझे कायर, बहुत खुश हो रहे नादाँ

क़त्ल करने मुझे देखो , कब्र में घुस के बैठे हैं .



गिला वे कर रहे आकर , हमारे गुमसुम रहने का ,

गुलूबंद को जो कानों से , लपेटे अपने बैठे हैं .



हमें गुस्ताख़ कहते हैं , गुनाह ऊँगली पे गिनवाएं ,

सवेरे से जो रातों तक , गालियाँ दे के बैठे हैं .



नतीजा उनसे मिलने का , आज है सामने आया ,

पड़े हम…

Continue

Posted on January 10, 2015 at 11:00pm — 7 Comments

बाल मज़दूरी -हमारी मज़बूरी .

”बचपन आज देखो किस कदर है खो रहा खुद को ,

उठे न बोझ खुद का भी उठाये रोड़ी ,सीमेंट को .”

........................................................................

”लोहा ,प्लास्टिक ,रद्दी आकर बेच लो हमको ,

हमारे देश के सपने कबाड़ी कहते हैं खुद को .”

.......................................................................

”खड़े हैं सुनते आवाज़ें ,कहें जो मालिक ले आएं ,

दुकानों पर इन्हीं हाथों ने थामा बढ़के ग्राहक को .”…

Continue

Posted on June 15, 2014 at 11:30pm — 3 Comments

पर्दे शर्म के सारे तार-तार हो गए हैं .

बेख़ौफ़ हो गए हैं ,बेदर्द हो गए हैं ,

हवस के जूनून में मदहोश हो गए हैं .

चल निकले अपना चैनल ,हिट हो ले वेबसाईट ,

अख़बारों के अड्डे ही ये अश्लील हो गए हैं .

पीते हैं मेल करके ,देखें ब्लू हैं फ़िल्में ,

नारी का जिस्म दारू के अब दौर हो गए हैं .

गम करते हों गलत ये ,चाहे मनाये जलसे ,

दर्द-ओ-ख़ुशी औरतों के सिर ही हो गए हैं .

उतरें हैं रैम्प पर ये बेधड़क खोल तन को…

Continue

Posted on May 11, 2013 at 12:30am — 11 Comments

हमको नवाज़ी ख़ुदा ने मकसूम शख्सियत ,

 

  Thai Massage

फरमाबरदार बनूँ औलाद या शौहर वफादार ,

औरत की नज़र में हर मर्द है बेकार .



करता अदा हर फ़र्ज़ हूँ मक़बूलियत  के साथ ,

माँ की करूँ सेवा टहल ,बेगम को दे पगार .

 

मनसबी रखी रहे बाहर मेरे घर से ,

चौखट पे कदम रखते ही इनकी करो मनुहार .

 

फैयाज़ी मेरे खून में ,फरहत है फैमिली ,

फरमाइशें पूरी करूँ ,ये फिर भी हैं बेजार .



हमको नवाज़ी ख़ुदा ने मकसूम शख्सियत…

Continue

Posted on April 17, 2013 at 1:36am — 6 Comments

Comment Wall (8 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 1:43pm on October 27, 2012, Mukesh Kumar Saxena said…

"आपने मेरी कविता की जो सराहना की है वह मेरे लिए अनमोल है । "

At 9:18pm on October 2, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 8:39am on June 11, 2011, Tapan Dubey said…
thanks shaliniji
At 5:28pm on January 12, 2011, Sanjay Rajendraprasad Yadav said…

शालिनी जी आप को मेरा नमस्कार 

और साथ में OBC  को धन्यवाद,

आपने मानव और मानवता को थोडा समय देकर बेहतरीन तरीके से समझा दिया है
आज सच्चाई हर तरफ हार रही है, पर हर तरफ लोग झूठ को क्यूँ अपना रहे है ,
आज हर कोई ऐसो आराम की जिंदगी जीना चाहता है  इस लिए नर हो या नारी लोक -लाज ,मान-सम्मान की परवाह किये बेगैर किसी भी हद तक जाने की तैयारी कर लेता है ,
At 3:12pm on December 17, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 5:43pm on December 13, 2010, Admin said…

ओपन बुक्स ऑनलाइन के मुख्य पृष्ठ पर दाहिने तरफ दो हिंदी लेखन टूल पहले से दिया हुआ है, पहला "

हिन्दी यहाँ टाइप करे...

तथा दूसरा Tool  Box  मे देवनागरी लिखने के लिये यहाँ क्लिक करे... 

इसके अलावा एक और हिंदी लेखन टूल नीचे दिये गये लिंक पर मिल सकता है , पुनः किसी भी प्रश्न का स्वागत है |

http://www.openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:27913?id=5170231%3ATopic%3A27913&page=1#comments

At 10:01am on December 13, 2010, Admin said…

At 7:39pm on December 4, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service