मच्छर
इस युग के दो महान प्राणी
जिनकी महिमा सबने जानी
लेता सब कुछ न कुछ देता
एक मच्छर दूसरा है नेता
---------------------------------
गली नुक्कड़ हो या चौबारा
हर जगह है इनकी पौ बारा
जिनके बूते जग में हैं पलते
अवसर पा शरीर में डंक भरते
---------------------------------
सूरत सीरत पे इनकी न जाओ
लाख बचो इनसे पर बच न पाओ
भुनभुना के मीठा संगीत सुनाते
चुपके से जनता का खून पी जाते
---------------------------------------
जनम लेते तब लगते ये मर गिल्ले
पीते खून फूटते तब इनके किल्ले
सफ़ेद रंग फिर काला अंत में लाल
भूख गरीबी महंगाई से जनता बे हाल
-------------------------------------------
कैंसर मलेरिया डेंगू कई रोगों के कारक
बच न सका कोई भैया हैं ये बड़े मारक
बतलाता तुमको उपाय चाहो अगर जीना
काटते मर जायेंगे पड़ेगा तुमको जहर पीना
--------------------------------------------------
निर्णय तुमको करना है जीना है या मरना है
आगे बढ़ संघर्ष करो कायरों से क्या डरना है
उज्जवल भविष्य हो भारत का कर्तव्य हमारा है
पियो गरल शिव बनो या शव निर्णय तुम्हारा है.
-------------------------------------------------------
Comment
आदरणीय सूरज जी, सादर
स्नेह हेतु आभार.
आदरणीय अशोक जी, सदर अभिवादन
स्वीकार. आपको भी.
इस युग के दो महान प्राणी
जिनकी महिमा सबने जानी
लेता सब कुछ न कुछ देता
एक मच्छर दूसरा है नेता
---------------------------------॥आदरणीय प्रदीप जी मैं आपकी इन पंक्तियों से सहमत नहीं हूँ....आजकल नेता और मच्छर लेने से ज्यादा दे रहे है हैं......मसलन मच्छर चूसता(यानि की लेता) एक बूंद खून है और देता है सैकड़ों बीमारियाँ जैसे मलेरिया, डेंगू, फैलारिया इत्यादि और नेता लेता है बस एक वोट और देता है लाखों के घोटाले, भ्रस्टाचार, बेईमानी, नफरत, दंगे, बलत्कार इत्यादि....मज़ाक कर रहा हूँ॥बहुत सुंदर पंक्तियों से नवाजा है इस मंच को आपने।
बधाई स्वीकार करें !....
आदरणीय प्रदीप जी
सादर, सुन्दर व्यंग रचना के लिए बधाई स्वीकारें.
मच्छर मालामाल,अरु जनता है बेहाल,
चूसा खुँ जनता का,है इनको नहीं मलाल,
रोग ये फैलाते, कानो में भुनभुनाते,
भूख बेकारी अरु, बलात्कार भी कराते.
आदरणीय रविकर जी, सादर
आपसे सिखने को मिल रहा है.
धन्यवाद
आदरणीय रणवीर जी, सादर अभिवादन
प्रोत्साहित करने हेतु आभार
आदरणीय लड़ीवाला जी, सादर अभिवादन
आप उत्साह बढ़ाते रहते हैं आभार
आदरणीया प्राची जी, सादर
उत्साह वर्धन हेतु आभार
आदरणीय फूल सिंह जी, सादर
आभार
आदरणीय नादिर जी,
सादर अभिवादन
प्रोत्साहन हेतु आभार
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online