ज़माना
-------------
जनता देखो आया अब कैसा जमाना
कवि को मना है आज कल मुस्कुराना
लिखने पे पड़ता अब इन्हें जेल जाना
जनता देखो आया अब कैसा जमाना
--------------------------------------------
न खींचो अब कोई चित्र ये जंतु विचित्र
बैठ कर सदन में खूब मौज लेते सचित्र
ऐसा न था कभी इनका चरित्र पुराना
जनता देखो अब आया कैसा जमाना
------------------------------------------
उजले तन के काले मन के
बैठे देश के रखवाले बन के
जतन करो इनसे देश है बचाना
जनता देखो अब आया कैसा जमाना
---------------------------------------
सुविधाएँ इनको सारी मिलती
३२ रु . में जनता पेट है भरती
मुश्किल हो गया चूल्हा जलाना
जनता देखो अब आया कैसा जमाना
Comment
आदरणीय अशोक जी, सादर अभिवादन
स्नेह हेतु आभार
न खींचो अब कोई चित्र ये जंतु विचित्र
बैठ कर सदन में खूब मौज लेते सचित्र
ऐसा न था कभी इनका चरित्र पुराना
जनता देखो अब आया कैसा जमाना ................वाह वाह वाह क्या खूब.
आदरणीय प्रदीप जी इतना ही नहीं ट्वीट करने पर भी पुलिस धर ले जाती है. सुन्दर रचना सादर बधाई स्वीकारें.
आदरणीय सिंह साहब जी, सादर अभिवादन
प्रोत्साहन हेतु आभार
प्रदीप जी नमस्कार.....
बहुत ही सुंदर रचना....बधाई....
फूल सिंह
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online