[1] जल चरणों के श्लोक यह , जग हित में शुभ-लाभ !
पी कर विष प्रदूषण का , हुआ नीर अमिताभ !!
[2] पाट कर सब ताल कुँए , हम ने की यह भूल !
पानी - पानी हो गई , निज चरणों की धूल !!
[3] कर न पायें दीपक ज्यों , तेल बिना उजियार !
उसी भाँति यह नीर है , जीवन का आधार !!
[4] पिघल-पिघल कर ग्लेशियर, देते नित संकेत !
जल प्रलय अब दूर नहीं , सब जन जाएँ चेत !!
[5] सूरज आग उगल रहा , बढ़ता जाए ताप !
जल बिना यह जीवन है , जैसे इक अभिशाप !!
[6] पानी का क्या मोल है , जाने रेगिस्तान !
जहाँ उसे इक बूँद भी , लागे सुधा समान !!
[7] कहीं बाढ़ सूखा कहीं , कहीं सुनामी ज्वार !
मूर्ख मानव खोल रहा , जल प्रलय के द्वार !!
[8] सागर से बादल बनें , बादल से यह नीर !
जल बिना यह जीवन है , सचमुच टेढ़ी खीर !!
[9] अत्यधिक जल दोहन से , सूख रहे सब स्रोत !
कैसे जल बिन फिर चलें , इस जीवन के पोत !!
[10] नीर बिना जीवन नहीं , बाँधो मन में गाँठ !
जीवन रूपी पुस्तक का , जल ही पहला पाठ !!
[11] धन - दौलत से कीमती , पानी की हर बूँद !
पानी को बरबाद कर , यूँ ना आँखें मूँद !!
[12] जल कहे यह मानव से , नष्ट न करियो मोय !
अपितु मैं जल समाधि बन , नष्ट करूँगा तोय !!
[13] जो मानव जन नित करें , पानी का सम्मान !
उस के जीवन में रहे , सदा मधुर मुस्कान !!
[14] पानी से मत पूछिए , क्या है उस का रंग !
रंग जाए उस रंग में , मिल जाए जिस संग !!
[15] जल जीवन का सार है , परखो जी श्री मान !
देते हैं सन्देश यही , गीता और क़ुरान !!
[16] स्वार्थ पूर्ति ही न बनें , जीवन का अभिप्राय !
"लतीफ़" हम सब मिल करें , जल रक्षण के उपाय !!
लतीफ़ खान ,, दल्ली राजहरा ...
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