आज करना कुछ नया-सा चाहता हूँ
आस के जज़्बात भरना चाहता हूँ
ये ग़ज़ल मेरी अधूरी है अभी तक
बस तेरी ख़ुशबू मिलाना चाहता हूँ
शौक़ है ये और ज़िद भी है हमारी
दिल में दुश्मन के उतरना चाहता हूँ
ख़ौफ़जद है ज़िंदगी अब तो हमारी
प्यार के कुछ रंग भरना चाहता हूँ
दुश्मनों ने दोस्त बन कर जो किया था
गलतियाँ उनकी भुलाना चाहता हूँ
(मात्रा 2122 2122 2122 की कोशिश की है ।)
Comment
ये ग़ज़ल मेरी अधूरी है अभी तक
बस तेरी ख़ुशबू मिलाना चाहता हूँ
शौक़ है ये और ज़िद भी है हमारी
दिल में दुश्मन के उतरना चाहता हूँ
वैसे तो पूरी ग़ज़ल ही शानदार है ये दोनों शेर बहुत पसंद आये
बहुत शुक्रिया भाई मनोज कुमार जी
आदरणीय वीनस जी आपकी advice सर आँखों पर
बहुत शुक्रिया आपका ।
शौक़ है ये और ज़िद भी है हमारी
दिल में दुश्मन के उतरना चाहता हूँ
वाह वा नादिर खान साहिब क्या कहने इस शेअर ने तो देर तक अपने पास रोके रखा .......
ये ग़ज़ल मेरी अधूरी है अभी तक
बस तेरी ख़ुशबू मिलाना चाहता हूँ
खूबसूरत ग़ज़ल के लिए विशेष बधाई स्वीकार करें
// दोस्तों ने दुश्मनी में जो किया था
गलतियाँ उनकी भुलाना चाहता हूँ.. //
यह शेर बाकी के अशआर से थोडा हल्का लगा मिसरा -ए- उला थोडा और मेहनत की मांग कर रहा है
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