गिरती दीवारें सूने खलिहान है
गावों की अब यही पहचान है
चौपालों में बैठक और हंसी ठट्ठे
छोटे छोटे से मेरे अरमान है
जनता के हाथ आया यही भाग्य है
आँखों में सपने और दिल परेशान है
लें मोती आप औरों के लिये कंकड़
वादे झूठे मिली खोखली शान है
हम निकले हैं सफर में दुआ साथ है
मंजिल है दूर रस्ता बियाबान है
Comment
अच्छी ग़ज़ल, बहुत ही सुन्दर मंजरनिगारी है , गाँव का दृश्य बरबस आँखों के सामने आ जाता है , बहुत बहुत बधाई नादिर साहब |
गिरती दीवारें सूने खलिहान है
गावों की अब यही पहचान है
जनता के हाथ आया यही भाग्य है
आँखों में सपने और दिल परेशान है
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सुन्दर भाव युक्त रचना हेतु बधाई.
अदरणीय अशोक कुमार जी तथा अदरणीय डॉ सूर्या बाली जी हौसला अफजायी के लिए आप दोनों का बहुत शुक्रिया ।
अभी सीखने की कोशिश मे लगे है, लड़खड़ातेते कदमों से चल रहे है ।
आप लोगों के कोमेंट्स सहारा देते है।
पुनः बहुत आभार
"नादिर भाई नमस्कार, हम निकले हैं सफर में दुआ साथ है , मंजिल है दूर रस्ता बियाबान है॥ अच्छा शेर एक अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाइयाँ कबूल करें ! "
नादार भाई नमस्कार,
हम निकले हैं सफर में दुआ साथ है , मंजिल है दूर रस्ता बियाबान है॥ अच्छा शेर
एक अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाइयाँ कबूल करें !
बहुत सुन्दर भाव आदरणीय नादिर खान साहब बधाई स्वीकारें.
बहुत शुक्रिया आदरणीय, फूल सिंह जी ,संदीप जी,रविकर जी,एवं प्रदीप जी आप लोगों ने कोशिश को सराहा आप सभी का बहुत आभार।
गिरती दीवारें सूने खलिहान है
गावों की अब यही पहचान है
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जनता के हाथ आया यही भाग्य है
आँखों में सपने और दिल परेशान है
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सुन्दर भाव युक्त रचना हेतु बधाई.
बहुत बढ़िया आदरणीय ।।
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