For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गिरती दीवारें सूने खलिहान है

गिरती दीवारें सूने खलिहान है
गावों की अब यही पहचान है

चौपालों में बैठक और हंसी ठट्ठे
छोटे छोटे से मेरे अरमान है

जनता के हाथ आया यही भाग्य है
आँखों में सपने और दिल परेशान है

लें मोती आप औरों के लिये कंकड़
वादे झूठे मिली खोखली शान है

हम निकले हैं सफर में दुआ साथ है
मंजिल है दूर रस्ता बियाबान है

Views: 751

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 16, 2012 at 8:37pm

अच्छी ग़ज़ल, बहुत ही सुन्दर मंजरनिगारी है , गाँव का दृश्य बरबस आँखों के सामने आ जाता है , बहुत बहुत बधाई नादिर साहब |

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 11, 2012 at 5:15am

गिरती दीवारें सूने खलिहान है 
गावों की अब यही पहचान है

जनता के हाथ आया यही भाग्य है

आँखों में सपने और दिल परेशान है 

-----------------------------------------

सुन्दर भाव युक्त रचना हेतु बधाई.

Comment by Shyam Narain Verma on November 27, 2012 at 4:22pm
बहुत सुन्दर भाव
Comment by नादिर ख़ान on November 20, 2012 at 6:13pm

अदरणीय अशोक कुमार जी तथा अदरणीय डॉ सूर्या बाली जी हौसला अफजायी के लिए आप दोनों का बहुत शुक्रिया ।

अभी सीखने की कोशिश मे लगे है, लड़खड़ातेते कदमों से चल रहे है ।

आप लोगों के कोमेंट्स सहारा देते है।

पुनः  बहुत आभार 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 20, 2012 at 10:51am

"नादिर भाई नमस्कार, हम निकले हैं सफर में दुआ साथ है , मंजिल है दूर रस्ता बियाबान है॥ अच्छा शेर  एक अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाइयाँ कबूल करें ! "

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 20, 2012 at 10:49am

नादार भाई नमस्कार,

हम निकले हैं सफर में दुआ साथ है , मंजिल है दूर रस्ता बियाबान है॥ अच्छा शेर 

एक अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाइयाँ कबूल करें ! 

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 19, 2012 at 8:32pm

बहुत सुन्दर भाव आदरणीय नादिर खान साहब बधाई स्वीकारें.

Comment by नादिर ख़ान on November 17, 2012 at 6:22pm

बहुत शुक्रिया आदरणीय,  फूल सिंह जी ,संदीप जी,रविकर जी,एवं प्रदीप जी आप लोगों ने कोशिश को सराहा आप सभी का बहुत आभार। 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 17, 2012 at 2:46pm

गिरती दीवारें सूने खलिहान है 
गावों की अब यही पहचान है

----------------------------------

जनता के हाथ आया यही भाग्य है
आँखों में सपने और दिल परेशान है 

-----------------------------------------

सुन्दर भाव युक्त रचना हेतु बधाई.

Comment by रविकर on November 17, 2012 at 6:12am

बहुत बढ़िया आदरणीय ।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"बहुत बेहतरीन ग़ज़ल। एक के बाद एक कामयाब शेर। बहुत आनंद आया पढ़कर। मतले ने समां बांध दिया जिसे आपके हर…"
39 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
22 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
Monday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service