तैयार किए गए
कुछ रोबोट
डाले गए
नफरत के प्रोग्राम
चार्ज किए गए
हैवानियत की बैटरी से
फिर भेज दिये गए
इंसानों की बस्ती में
फैलने आतंक
ये और बात है
इंसानियत ज़िंदा रही
हार गए हैवान
नहीं डरा सके हमें
न हीं कमज़ोर कर सके
हमारा आत्मविश्वास
और फिर
नष्ट कर दिया गया
आखिरी रोबोट भी
हम खुश ज़रूर हैं
पर जब तक जिंदा हैं
रोबोट बनाने वाले हाथ
इंसानियत के दुश्मन आज़ाद हैं
और हमारी मंज़िल
अभी दूर है
Comment
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पर जब तक जिंदा हैं
रोबोट बनाने वाले हाथ
इंसानियत के दुश्मन आज़ाद हैं
और हमारी मंज़िल
अभी दूर है //
वाह, क्या बात है, बहुत ही सुन्दर कहन नादिर साहब, बहुत बड़ी बात कही है, यह रचना मुझे बहुत अच्छी लगी, बधाई इस सामयिक रचना पर |
पर जब तक जिंदा हैं
रोबोट बनाने वाले हाथ
इंसानियत के दुश्मन आज़ाद हैं
और हमारी मंज़िल
अभी दूर है ..................बेहद सटीक अभिव्यक्ति नादिर खान जी , हार्दिक बधाई स्वीकार करें
अदरणीय अखिलेश सर,लक्ष्मण प्रसाद जी एवं राजेश कुमारी जी आप सब का बहुत आभार
आप सभी ने कोशिश को सराहा ।
इशारों इशारों में बहुत कुछ कह गई ये रचना सन्देश परक !!बधाई आपको
भावपूर्ण सुंदर रचना बधाई
badhiya prastuti.
फूल सिंह जी एवं शालिनी जी, बहुत शुक्रिया
आप दोनों ने रचना के भाव को पसंद किया ।
आभार ..
ummeeed kee kiran baki hai tab kuchh bhi door nahi .bahut sundar bhavpoorn abhivyakti .badhai sweekar karen.
नादिर जी नमस्कार........
बहुत ही सुंदर, भावपूर्ण रचना....बधाई....
फूल सिंह
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