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शौहर की मैं गुलाम हूँ बहुत खूब बहुत खूब

 stock photo : Portrait of a cute young woman Saudi Arabianstock photo : Beautiful brunette portrait with traditionl costume. Indian style

 

शौहर की मैं गुलाम हूँ  बहुत खूब बहुत खूब ,
दोयम दर्जे की इन्सान हूँ  बहुत खूब बहुत खूब .

 

कर  सकूं उनसे बहस बीवी को इतना हक कहाँ !
रखती बंद जुबान हूँ  बहुत खूब बहुत खूब !

 

उनकी नज़र में है यही औकात इस नाचीज़ की ,
तफरीह का मैं सामान हूँ  बहुत खूब बहुत खूब !

 

रखा छिपाकर दुनिया से मेरी हिफाज़त की सदा ,
मानती अहसान हूँ   बहुत खूब बहुत खूब !

 

वे पीटकर पुचकारते कितने रहमदिल मर्द हैं !
उन पर ही मैं कुर्बान हूँ  बहुत खूब बहुत खूब !

 

'नूतन' ज़माने में नहीं औरत की कीमत रत्ती भर ,
देखकर हैरान हूँ  बहुत खूब बहुत खूब !


                                              शिखा कौशिक 'नूतन'

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 25, 2012 at 4:17pm

बहुत खूब बहुत खूब 

बधाई 

Comment by Admin on November 24, 2012 at 11:18pm

कृपया बाहरी लिंक न दें , ओ बी ओ नियमानुसार यह निषेध है । 

Comment by shikha kaushik on November 24, 2012 at 11:16pm

margdarshan hetu aabhar


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 24, 2012 at 9:14pm

कथ्य सुन्दर है, यह रचना "ग़ज़ल" बन सकती थी यदि "गुलाम और इंसान के साथ काफिया निर्वहन होता तो, बधाई इस रचना पर शिखा जी |

Comment by shalini kaushik on November 24, 2012 at 12:44pm

yogi ji -yah gazal shikha ji ki hai .

Comment by Yogi Saraswat on November 24, 2012 at 11:15am

उनकी नज़र में है यही औकात इस नाचीज़ की ,
तफरीह का मैं सामान हूँ  बहुत खूब बहुत खूब

बहुत खूब , सुन्दर अल्फ़ाज़ , क्या बात है ! एक एक आश'आर बहुत दमदार और काबीले tareef . शालिनी जी , बधाई !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 23, 2012 at 9:47pm

शौहर की मेल डोमिनेन्स से कोमल नारी ह्रदय में पहुँचने वाली पीढ़ा को सटीक अभिव्यक्ति मिली है, हार्दिक बधाई प्रिय शिखा जी 

Comment by shalini kaushik on November 23, 2012 at 4:15pm
sahmat hun .

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 23, 2012 at 3:11pm

शालिनी जी, उर्दू शब्दों को हम लोग हिंदी रचनाओं में धड़ल्ले से प्रयोग करते है, उर्दू शब्दावलियाँ आज वर्गविशेष तक सिमित नहीं है, इस रचना को केवल एक सन्दर्भ में देखना कही न कही रचनाकार के साथ अन्याय होगा और उसकी रचना को हम सिमित कर देंगे, इस रचना की व्यापकता को समझना होगा |

Comment by shalini kaushik on November 23, 2012 at 3:00pm

ganesh ji ,choonki shikha ji ne yahan ''shauhar ''shabd ka istemal kiya hai isliye inki ye prastuti ek muslim mahila ke jyada kareeb hai aur muslim mahilaon kee sthiti kuchh kuchhhai bhi aisee hi.vaise sampoorn nari jagat bhi ise apne par lagoo kare to harz to kuchh hai nahi sachchai bhi yahi hai.

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