'स्नेहा....स्नेहा ....' भैय्या की कड़क आवाज़ सुन स्नेहा रसोई से सीधे उनके कमरे में पहुंची .स्नेहा से चार साल बड़े आदित्य की आँखें छत पर घूमते पंखें पर थी और हाथ में एक चिट्ठी थी .स्नेहा के वहां पहुँचते ही आदित्य ने घूरते हुए कहा -''ये क्या है ?' स्नेहा समझ गयी मयंक की चिट्ठी भैय्या के हाथ लग गयी है .स्नेहा ज़मीन की ओर देखते हुए बोली -'भैय्या मयंक बहुत अच्छा ....'' वाक्य पूरा कर भी न पायी थी कि आदित्य ने जोरदार तमाचा उसके गाल पर जड़ दिया और स्नेहा चीख पड़ी '' भैय्या ..''.आदित्य ने उसकी चोटी पकड़ते हुए कहा -''याद रख स्नेहा जो भाई तेरी इज्ज़त बचाने के लिए किसी और की जान ले सकता है वो ....परिवार की इज्ज़त बनाये रखने के लिए तेरी भी जान ले सकता है .'' ये कहकर आदित्य ने झटके से स्नेहा की चोटी छोड़ दी और वहां से निकल कर घर से बाहर चला गया ..आदित्य के जाते ही दीवार पर टंगी माता-पिता की तस्वीरें देखती हुई स्नेहा वही बैठ गयी . मन ही मन सोचने लगी -''आज अगर वे जिंदा होते तो शायद मैं कुछ कर पाती ...पर भैय्या ......लेकिन अगर भैय्या को पसंद नहीं तो मैं ...अब मयंक से नहीं मिलूंगी .''दिन का गया आदित्य जब रात के बारह बजे तक भी न लौटा तो स्नेहा का दिल घबराने लगा .राह देखते देखते उसकी आँख लग गयी .माथे पर कुछ सटा होने के अहसास से उसकी आँख खुली तो आदित्य को सिरहाने खड़ा पाया उसके हाथ के रिवॉल्वर को अपने माथे पर लगा पाया .स्नेहा कुछ बोलती इससे पहले ही आदित्य रिवॉल्वर का ट्रिगर दबा चूका था और आदित्य के कानों में गूँज रहे थे गली के कोने में खड़े लफंगों के शब्द .....''ये देखो खुद की रोज़ी-रोटी चलाने को बहन को धंधे पर लगा दिया ...अजी कौन जाने किस किस से चक्कर है ....हम ही क्या बुरे हैं...... कुछ भेंट तो हम भी चढ़ा देते ...और ...और जोरदार ठहाके !!!
शिखा कौशिक 'नूतन '
Comment
बहुत कुछ सोचने पर विवश करती लघु कथा यही बात उससे उलट होती तो बहन भाई की पसंद के विषय में सोचती उससे खुल कर बाते करती !!!
विवेक का इस्तेमाल नहीं किया.
ऐसे निर्णय लिया जाए तो बस...
सोचने को मजबूर करती कथा. बधाई.
क्या कहा जा सकता है इस लघु कथा में अभिव्यक्त घटना पर ! अच्छा ताना-बाना बुना गया है. शिक्षा मात्र सनद के लिये नहीं, बल्कि समझ के लिये हो. अन्यथा कई-कई आदित्य अपने नाम के विपरीत परिवार-समाज को तमाच्छादित करते रहेंगे.
अच्छी कथा के लिये हार्दिक धन्यवाद, शिखाजी.
नीलांश जी व् गणेश जी प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार
संदेशात्मक के लिए बधाई आपको
गली के आवारा कुत्तों की भौकने की आवाज सुन एक सनकी हाथी ने एक निर्दोष को कुचल दिया था, अच्छी लघु कथा, बधाई शिखा जी |
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