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बेवजह ही बेसबब भी दूर तक बेफिक्र टहलो -

काम से तो रोज घूमे काम बिन भी घूम बन्दे |
नाम में कुछ ना धरा गुमनाम होकर झूम बन्दे ||

 

बेवजह ही बेसबब भी दूर तक बेफिक्र टहलो -

कुछ करो या ना करो हर ठाँव को ले चूम बन्दे ।|

 

बेवफा है जिंदगी इसको नहीं ज्यादा पढो अब -

दर्शनों में आजकल मचती रही यह धूम बन्दे ।|

 

दे उड़ा धन-दौलतें सब, कौन तू लाया जहाँ में-

मस्तियाँ देखो निकलकर पस्त हो मत सूम बन्दे ।|

 

ले पहन रविकर लँगोटी, एक खोटी सी चवन्नी -

राह पर चौकस उछालो जब नहीं मालूम बन्दे ।।

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Comment by Ashok Kumar Raktale on December 16, 2012 at 9:34pm

सुन्दर रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीय रविकर जी. सादर.

Comment by वीनस केसरी on December 6, 2012 at 1:19am

निभा रहे अल्फाज़ सब, अपना अपना रोल
रविकर साहिब आपकी, रचना है अनमोल

कृपया ध्यान दे...

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