काम से तो रोज घूमे काम बिन भी घूम बन्दे |
नाम में कुछ ना धरा गुमनाम होकर झूम बन्दे ||
बेवजह ही बेसबब भी दूर तक बेफिक्र टहलो -
कुछ करो या ना करो हर ठाँव को ले चूम बन्दे ।|
बेवफा है जिंदगी इसको नहीं ज्यादा पढो अब -
दर्शनों में आजकल मचती रही यह धूम बन्दे ।|
दे उड़ा धन-दौलतें सब, कौन तू लाया जहाँ में-
मस्तियाँ देखो निकलकर पस्त हो मत सूम बन्दे ।|
ले पहन रविकर लँगोटी, एक खोटी सी चवन्नी -
राह पर चौकस उछालो जब नहीं मालूम बन्दे ।।
Comment
सुन्दर रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीय रविकर जी. सादर.
निभा रहे अल्फाज़ सब, अपना अपना रोल
रविकर साहिब आपकी, रचना है अनमोल
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