For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सिद्ध होय गर स्वार्थ, दबा दे ख़बरें सच्ची -

मौलिक / अप्रकाशित

खरी-खरी खोटी-खरी, खरबर खबर खँगाल ।

फरी-फरी फ़रियाँय फिर, घरी-घरी घंटाल ।

घरी-घरी घंटाल, मीडिया माथा-पच्ची ।

सिद्ध होय गर स्वार्थ, दबा दे ख़बरें सच्ची ।

परमारथ का ढोंग, बे-हया देखे खबरी ।

करें शुद्ध व्यवसाय, आपदा क्यूँकर अखरी ??

Views: 458

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रविकर on February 6, 2013 at 5:20pm

बहुत बहुत आभार आदरेया / आदरणीय ||

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 5, 2013 at 7:36pm

जय हो .............इक दम खरी खरी के लिए बधाई आदरणीय

Comment by राजेश 'मृदु' on February 5, 2013 at 6:42pm

जबर्दस्‍त कुंडलियां है, एक शब्‍द भी हटा नहीं सकते ना ही किसी अन्‍य शब्‍द से प्रतिस्‍थापित नहीं कर सकते । आप जैसे रचनाकारों को पढ़कर मन किसी और जगह चला जाता है, सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 5, 2013 at 1:07pm

सिद्ध होय गर स्वार्थ, दबा दे ख़बरें सच्ची ।

परमारथ का ढोंग, बे-हया देखे खबरी ।---वाह वाह सामयिक कुण्डलिया  पत्रकारिता कि जम कर ख़बर ली है बहुत बहुत बधाई भाई जी  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 5, 2013 at 12:13pm

मतलब, इस बीच फिर आप फ़ैज़ाबाद की गलियों और अयोध्या की घाटों से हो आये ? जय हो प्रभुवर !!!!....

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 5, 2013 at 11:31am

धनबाद आये बसने, क्यों रविकर जी आप

आबाद रहे  खुश रहे, अब स्थापित हो आप 
धनबाद आबाद रहे , धन की हो बरसात 
रविकर की किरणे मिले, ओबीओ हो माध्य 
धनबाद से कुण्डलिया, सुन्दर यह सौगात,
कविवर लक्ष्मण भी कहे, फिर से होगा साथ ।
Comment by रविकर on February 5, 2013 at 11:03am

आभार आदरणीय सौरभ जी, आदरणीय बागी जी ||
सादर --

धनबाद आ गया हूँ -
आदरणीय सौरभ जी-
नियमित होने की कोशिश चल रही है-
आभार -


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 4, 2013 at 8:04pm

आदरणीय रविकर जी, आपने इस कुंडली के माध्यम से चौथे खम्भे के खोखलेपन को उजागर कर दिया है , यही तो हो रहा है, बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 4, 2013 at 6:42pm

आदरणीय रविभाईजी, आपकी कुण्डलिया किसी पद्य-मंजूषा की तरह होती हैं. हम इसी कारण आपकी कुण्डलियों के शैदाई हैं.

प्रस्तुत छंद के कथ्य मे भी मीडिया के अतुकांत व्यवहार को आपने क्या खूब उकेरा है!.. वाह !!

एक-एक शब्द सान्द्र है. खरी-खरी खोटी-खरी.. वाह वाह ! और नाम दिया घंटाल !! बहुत खूब आदरणीय ! ..हा हा हा .. .  फरी-फरी फरियायँ फिर... कह कर आपने मीडिया की व्यावसायिक टुच्चई को बखूबी साझा किया है.

यह सही है कि ख़बर देने के नाम पर मानवीयता से समझौता किसी तरह से अनुकरणीय नहीं है. लेकिन इस नाम पर जो कुछ हो रहा है, वह आपके संवेदनशील मन को झकझोर गया.  आपकी सोच-प्रक्रिया को मैं ससम्मान स्वीकार करता हूँ. 

 

एक शिकायत भरा प्रश्न -  इतने दिन भाईजी कहाँ रहे ???

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभाजी "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service