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आपने सराहा / बड़ा मजा आया


21 2221 2221 2221 2


यह जुबाँ कहती जुबानी, जो जवानी ढाल पर ।
क्या करे शिकवा-शिकायत, खुश दिखे बदहाल पर ।|

आँख पर परदे पड़े, आँगन नहीं पहले दिखा -
नाचते थे उस समय जब रोज उनकी ताल पर ।।


कर बगावत हुश्न से जब इश्क अपने आप से -
थूक कर चलता बना बेखौफ माया जाल पर ।।

आँच चूल्हे में घटी घटते सिलिंडर देख कर
चाय काफी घट गई अब रोक ताजे माल पर ।।

वापसी मुश्किल तुम्हारी, तथ्य रविकर जानते
कौन किसकी इन्तजारी कर सका है साल भर ||

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Comment

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Comment by रविकर on December 5, 2012 at 11:50am

आभार आदरणीय अरुण जी ||

Comment by रविकर on December 5, 2012 at 11:49am

बहुत बहुत आभार आदरणीय |
आभार ओ बी ओ ||


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 5, 2012 at 12:49am

भाई रविकर जी ! मैं आपकी इस ग़ज़ल पर विस्मित भी हूँ और अतीव प्रसन्न भी ! वाकई आप शब्दों के चितेरे हैं.

ग़ज़ल को बह्र पर ले आना और कहना इस सुन्दर तरीके से हुआ है कि मन खुश हुआ है -

आँख पर परदे पड़े, आँगन नहीं पहले दिखा -
नाचते थे उस समय जब रोज उनकी ताल पर ।।

बधाई भाईजी.

Comment by Abhinav Arun on December 4, 2012 at 8:30pm

वाह रविकर जी अ|पका ये अंदाज़ मन को भा गया हार्दिक बधाई इस बहु आयामी ग़ज़ल पर !!

Comment by रविकर on December 4, 2012 at 10:52am

जी आदरणीय वीनस जी ।

आभार आदरणीय भाई लडीवाला जी ।।

आभार आदरणीय अजय शर्मा जी ।।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 4, 2012 at 9:50am

बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति बधाई रविकर भाई 

Comment by वीनस केसरी on December 4, 2012 at 2:13am

क्या कहने
वाह
सुन्दर भावाभिव्यक्ति
लाजवाब द्विपदिका
बधाई स्वीकारें

शीर्षक से रचना का रिश्ता समझ नहीं आया 
मात्रा क्रम पर पुनः ध्यान दें ....
उचित विश्राम क्रम यह है
२१२२ / २१२२ / २१२२ / २१२

सादर

Comment by ajay sharma on December 3, 2012 at 10:52pm

POORI GITIKA KE LIYE DAAD QUBOOL KARE 

Comment by रविकर on December 3, 2012 at 8:48pm

आभार आदरणीय चंद्रेश जी आदरणीय डाक्टर 'सूरज' ||

आभारआद्रेया राजेश दी ||
 

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 3, 2012 at 8:01pm

रविकर जी बहुत बधाई और दिली दाद की हकदार है आपकी ग़ज़ल||

आँख पर परदे पड़े, आँगन नहीं पहले दिखा -
नाचते थे उस समय जब रोज उनकी ताल पर ।।

बहुत ही सुन्दर तरीके से बहुत सारे सच इसमें छुपा दिए हैं आपने |

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