For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम जरा सा नजरिया बदलो

सुनो!
सूरज में आग है या रोशनी?
चांद में दाग है या शीतलता?
पानी तरल है या सरल?
सागर गहरा है या विशाल?
फूल में कांटे है या खुशबू?
कीचड़ में गंदगी है या कमल?
दुनिया में सुख ज्यादा है या दुख?
जीने के लिए दिल की सुने या दिमाग की?
प्रेम ताकत है या कमजोरी?
इन सारे सवालों का जवाब आधारित है
परिस्थितियों से बनी हमारी सोच पर,..
सकारात्मक और नकारात्मक सोच हर बात के मायने बदल देती है,..
है ना!
इसलिए
तुम यूं न करो फासलों की बातें,
तुम बसे हो मेरी सांसों में,..
हमारे बीच मीलों की दूरी नही प्यार का मजबूत पुल है,..
बस तुम जरा सा नजरिया बदलो
देखना सब कुछ बदल जाएगा,.....


प्रीति सुराना

Views: 626

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sanjiv verma 'salil' on January 21, 2013 at 4:45pm

बस तुम जरा सा नजरिया बदलो
देखना सब कुछ बदल जाएगा,.....

sadhuvad.

Comment by priti surana on December 24, 2012 at 5:48pm

MAHIMA SHREE ji aabhar

Comment by MAHIMA SHREE on December 24, 2012 at 5:46pm

हमारे बीच मीलों की दूरी नही प्यार का मजबूत पुल है,..
बस तुम जरा सा नजरिया बदलो
देखना सब कुछ बदल जाएगा,.......

वाह !! क्या बात है ... सकरात्मक सोच को खूबसूरती से धारती रचना के लिए   आदरणीया प्रीति जी .. मेरी बधाई स्वीकार करे /

Comment by priti surana on December 14, 2012 at 9:31pm

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 9, 2012 at 11:04am

//बस तुम जरा सा नजरिया बदलो
देखना सब कुछ बदल जाएगा,....//

कविता जब यथार्थ कह रही हो तो दिल को छूती है, बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई हो |

Comment by seema agrawal on December 8, 2012 at 7:38pm

इस सकारात्मक सोच को यूं ही प्रकाश की किरणों की तरह फैलाती रहिये बधाई प्रीती जी 

Comment by priti surana on December 7, 2012 at 8:07pm
Comment by लतीफ़ ख़ान on December 7, 2012 at 7:53pm

प्रीति जी ,, मनमोहक विचारों से गुंथे इस पुष्प-गुच्छ के लिए आप को कोटिश: बधाई ,,, मेरा एक शेर इसी नज़रिये की बानगी है ,,,,,,,,

दिल में ग़म हो भी तो यारों मुस्कुराना चाहिए .

मुस्कुराने  के  लिए  भी  क्या  बहाना  चाहिए ..   पुन: बधाई ,,,

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 7, 2012 at 11:24am

प्रीति सुराना जी वाकई सब कुछ हमारी सोंच पर निर्भर करता है. सुन्दर प्रस्तुति बधाई स्वीकारें 
जाकी रही भावना जैसी - प्रभु मूरति देखी तिन तैसी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
28 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
12 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service