For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम जरा सा नजरिया बदलो

सुनो!
सूरज में आग है या रोशनी?
चांद में दाग है या शीतलता?
पानी तरल है या सरल?
सागर गहरा है या विशाल?
फूल में कांटे है या खुशबू?
कीचड़ में गंदगी है या कमल?
दुनिया में सुख ज्यादा है या दुख?
जीने के लिए दिल की सुने या दिमाग की?
प्रेम ताकत है या कमजोरी?
इन सारे सवालों का जवाब आधारित है
परिस्थितियों से बनी हमारी सोच पर,..
सकारात्मक और नकारात्मक सोच हर बात के मायने बदल देती है,..
है ना!
इसलिए
तुम यूं न करो फासलों की बातें,
तुम बसे हो मेरी सांसों में,..
हमारे बीच मीलों की दूरी नही प्यार का मजबूत पुल है,..
बस तुम जरा सा नजरिया बदलो
देखना सब कुछ बदल जाएगा,.....


प्रीति सुराना

Views: 624

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sanjiv verma 'salil' on January 21, 2013 at 4:45pm

बस तुम जरा सा नजरिया बदलो
देखना सब कुछ बदल जाएगा,.....

sadhuvad.

Comment by priti surana on December 24, 2012 at 5:48pm

MAHIMA SHREE ji aabhar

Comment by MAHIMA SHREE on December 24, 2012 at 5:46pm

हमारे बीच मीलों की दूरी नही प्यार का मजबूत पुल है,..
बस तुम जरा सा नजरिया बदलो
देखना सब कुछ बदल जाएगा,.......

वाह !! क्या बात है ... सकरात्मक सोच को खूबसूरती से धारती रचना के लिए   आदरणीया प्रीति जी .. मेरी बधाई स्वीकार करे /

Comment by priti surana on December 14, 2012 at 9:31pm

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 9, 2012 at 11:04am

//बस तुम जरा सा नजरिया बदलो
देखना सब कुछ बदल जाएगा,....//

कविता जब यथार्थ कह रही हो तो दिल को छूती है, बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई हो |

Comment by seema agrawal on December 8, 2012 at 7:38pm

इस सकारात्मक सोच को यूं ही प्रकाश की किरणों की तरह फैलाती रहिये बधाई प्रीती जी 

Comment by priti surana on December 7, 2012 at 8:07pm
Comment by लतीफ़ ख़ान on December 7, 2012 at 7:53pm

प्रीति जी ,, मनमोहक विचारों से गुंथे इस पुष्प-गुच्छ के लिए आप को कोटिश: बधाई ,,, मेरा एक शेर इसी नज़रिये की बानगी है ,,,,,,,,

दिल में ग़म हो भी तो यारों मुस्कुराना चाहिए .

मुस्कुराने  के  लिए  भी  क्या  बहाना  चाहिए ..   पुन: बधाई ,,,

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 7, 2012 at 11:24am

प्रीति सुराना जी वाकई सब कुछ हमारी सोंच पर निर्भर करता है. सुन्दर प्रस्तुति बधाई स्वीकारें 
जाकी रही भावना जैसी - प्रभु मूरति देखी तिन तैसी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
24 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
35 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
43 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
57 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service