For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हसरते, अरमान
तिरस्कार, अपमान
इन्हें लक्ष्मण रेखा को न पार करने दो
या फिर इन्हें कैद करो ऐसे
यह सांस भी न ले पाए जैसे
और चाबी ऐसे दफनाओ
के खुद भी न ढुंढ पाओ
फिर उड़ो ,पंख फैलाओ
और जिओ, पहली बार ....

अपने लिए !

  • अन्वेषा

Views: 459

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on December 15, 2012 at 11:15pm

आदरणीया मैंने जो प्रतिक्रिया दी है वह आपकी रचना का अर्थ नहीं है बल्कि आपकी रचना जहाँ समाप् हुई है ठीक उसके आगे के भाव हैं जो मुझे तब आए जब आपकी कविता को पढ़ा .....

विचारमंथन में एक विचार यह भी .....
एक दृष्टिकोण यह भी ,,,

Comment by Anwesha Anjushree on December 15, 2012 at 4:19pm

वीनस जी आप ने बिलकुल अलग अर्थ निकाला ! मैं तो दुःख और सुख से कही उचे स्तर पर पहुचने की बात कर रही हूँ ! जहाँ न दुःख हो , न सुख !साधू सा विचार ...आभार 

Comment by वीनस केसरी on December 15, 2012 at 2:41am

रचना पढ़ने के बाद प्राथमिक भाव ......


हर इंसान के मन में होती है उन्मुक्तता की अभिलाषा
चाहता है सारे बंधन को तोड़ देना
मर्यादाओं को तहस नहस कर देना भी चाहता है
मगर फिर क्या इंसान, इंसान रहेगा ?
कहीं जानवर तो नहीं बन जायेगा ........

Comment by Anwesha Anjushree on December 14, 2012 at 8:28pm

Shukriya Ajay ji mujhe padhne ke liye

Comment by Anwesha Anjushree on December 14, 2012 at 8:27pm

Birodhabhasi nahi....satya ka darshan hai...manushya ke liye ese prat karna bahut mushkil hai....par agar prapt ho jaay...to phir.....:)

Comment by Dr.Ajay Khare on December 14, 2012 at 11:36am

kafi birodhbhasi bhav he likin badia he badhai

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी ग़ज़ल में रदीफ़, काफ़िया और बह्र की दृष्टि से प्रयास सधा हुआ है। इसे प्रशंसनीय अभ्यास माना जा…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"सादर , अभिवादन आदरणीय।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"नफ़रतों की आँधियों में प्यार भी करते रहे।शांति का हर ओर से आधार भी करते रहे।१। *दुश्मनों के काल को…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"जय-जय"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"स्वागतम"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Saurabh Pandey's blog post गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ
"आ. सौरभ सर श्राप है या दुआ जा तुझे इश्क़ हो मुझ को तो हो गया जा तुझे इश्क़ हो..इस ग़ज़ल के…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. नाथ जी "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. विजय जी "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. अजय जी "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. समर सर. पता नहीं मैं इस ग़ज़ल पर आई टिप्पणियाँ पढ़ ही नहीं पाया "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. रचना जी "
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service