गर सब धुँआ है तो धुआँ रहने दो
अब जो जहां है उसे वहां रहने दो
सभी रिश्ते सुलझ जाएँ तो मजा कैसा
कुछ उलझनें भी तो दरम्याँ रहने दो
हर डगर फूल बिछाए नहीं मिलती
जलजलों में भी ये कारवां रहने दो
रहने वाला ही जब खो गया है कहीं
लापता फिर ये भी आशियाँ रहने दो
ये भी क्या कि तुम ही हर जगह रहोगे
कहीं तो जमीन ओ आसमाँ रहने दो
सहमे लफ़्ज़ों से रिश्ते संभलते कहाँ हैं
हमतुम में अब ये खामोशियाँ रहने दो
-पुष्यमित्र उपाध्याय
Comment
saadar abhar sir :)
रहने वाला ही जब खो गया है कहीं
लापता फिर ये भी आशियाँ रहने दो.........बहुत सुन्दर.
बढ़िया अशार. बधाई स्वीकारें पुष्यमित्र जी
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