और कितनी है जुदाई पता तो चले
वो मेरी है या पराई, पता तो चले
यूं बहारों पे कब्ज़ा यूं फिजाओं पे हुक्म
अदा ये किसने सिखाई पता तो चले
कँवल खिलने लगे अब्र जलने लगे
किसने ले ली अंगडाई पता तो चले
ये किसने छुआ है, ये किसका नशा है
ये कली क्यों बलखाई पता तो चले
चाँद खिलने लगा गुल महक से गये
मेहँदी किसने रचाई पता तो चले
खोलकर आज गेसू वो मुस्कुरा गये
मौत किसपे है आई पता तो चले
गनीमत यही उन्हें मुहब्बत तो हुई
कुछ उन्हें भी तन्हाई पता तो चले
-पुष्यमित्र उपाध्याय
Comment
bahut sunder gajal he badhai
पुष्यमित्र उपाध्याय जी आप जब भी आते हैं कुछ नया लाते हैं जवाब नहीं आपका खूबसूरत ग़ज़ल मित्र ढेरों बधाइयाँ
यूं बहारों पे कब्ज़ा यूं फिजाओं पे हुक्म
अदा ये किसने सिखाई पता तो चले वाह क्या बात है
आदरणीय गणेश सर, सुमन दीदी, अजय सर, महिमा दीदी...आप सभी का आशीष पाकर अभिभूत हूँ अनुज का प्रणाम स्वीकार कीजिये...
कँवल खिलने लगे अब्र जलने लगे
किसने ले ली अंगडाई पता तो चले
ये किसने छुआ है, ये किसका नशा है
ये कली क्यों बलखाई पता तो चले
चाँद खिलने लगा गुल महक से गये
मेहँदी किसने रचाई पता तो चले....
सुंदर अभिवयक्ति!!!!!
पुष्यमित्र जी बधाई स्वीकार करें
सच्ची सच्ची कहा , की गजल अच्छी है आपकी
हमारी दाद कबूलें, जरा पता तो चले ..
अच्छी ग़ज़ल, दाद कुबूल कर लेंगें कृपया |
ये किसने छुआ है, ये किसका नशा है
ये कली क्यों बलखाई पता तो चले A -----------nitant maulik bhanvo ka sangrahan kiya hai is rachna me ,,,dili mubaraqbad
saadar aabhar prachi didi....rajesh sir....
मन में नाज़ुक भावनाओं के कोमल सवालों के जवाब का इंतज़ार करती सुन्दर ग़ज़ल
हार्दिक बधाई प्रिय पुष्यमित्र जी
बड़ी नाजुक सी गजल कही है पुष्यमित्र जी, बधाई
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