हाँ हमें कुछ शर्म करना चाहिये
या हमें अब डूब मरना चाहिये
देश क्यों बदला नहीं कुछ आज तक
देश को क्यों और धरना चाहिये
दर्द ही है जख्म की संवेदना
क्यों भला इससे उभरना चाहिये
रों रही है माँ बहन औ बेटियां
जिन्दगी इनकी सवरना चाहिये
आ मिटा दें खौफ़ की परछाइयाँ
यार कुछ तो कर गुजरना चाहिये
~अमितेष
Comment
शुक्रिया संदीप भाई .............
बेहतरीन साहब
दाद क़ुबूल कीजिये कुछ तो कर गुजरना चाहिए वाह वाह वाह
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