For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इन दिनों 

जैसे ही सूरज 
झील में पनाह लेता है 
पंछियों के झुण्ड 
और भेड़ों की रेवड़ 
अपने अपने घर 
कुछ जल्दी लौटती है 
........
सांवली सी 
कोमल 
स्निग्ध शाम  
पहाड़ों की सीढ़ियों पर 
पैर जमाये 
धीरे से  उतरती है 
कितने लम्हे 
कोहरे की चादर लपेटे  
सामने ठहरते हैं 
तुम्हारी एक  पुकार के 
इंतज़ार में 
कितनी सदियाँ 
आँखों में बनती संवरती  हैं 
....

Views: 353

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by rajluxmi sharma on July 17, 2013 at 7:40pm

आपसब का आभार ...:)

Comment by rajluxmi sharma on January 10, 2013 at 6:48pm

मै तो कतरा थी 

...
सागर बनाया आपने ....
आप सब का आभार ..... बागी जी ,प्राची जी ,कुशवाहा जी अरुण शर्मा जी, और नादिर खान जी ...:)
Comment by नादिर ख़ान on January 10, 2013 at 4:57pm

क्या कहने, उम्दा रचना ....

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 10, 2013 at 4:19pm
कितने लम्हे 
कोहरे की चादर लपेटे  
सामने ठहरते हैं 
तुम्हारी एक  पुकार के 
इंतज़ार में 
कितनी सदियाँ 
आँखों में बनती संवरती  हैं वाह सुन्दर पंक्तियाँ खूबसूरत रचना हार्दिक बधाई.
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 10, 2013 at 4:18pm

bahut sundar bhaav 

badhai 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 10, 2013 at 4:14pm

मन के भावों की सुन्दर शब्द व सुन्दर बिम्बों से प्रस्तुति, बहुत सुन्दर रचना 

हार्दिक बधाई राजलक्ष्मी शर्मा जी 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 10, 2013 at 3:05pm

वाह वाह, बहुत ही सुन्दर बिम्बों को समाहित किया है अपनी इस कविता में, अच्छी लगी यह रचना, बधाई इस कृति पर |

Comment by rajluxmi sharma on January 9, 2013 at 8:16pm

शुक्रिया ...विजय निकोरे जी एवं संदीप कुमार पटेल जी।।

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 9, 2013 at 4:11pm
तुम्हारी एक  पुकार के 
इंतज़ार में 
कितनी सदियाँ 
आँखों में बनती संवरती  हैं waah kya baat hai badhai ho
Comment by vijay nikore on January 9, 2013 at 3:35pm

राजलक्ष्मी जी,

तुम्हारी एक  पुकार के
इंतज़ार में
कितनी सदियाँ
आँखों में बनती संवरती  हैं
बहुत ही मार्मिक भाव है।
बधाई।
विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब, काफ़ी समय बाद मंच पर आपकी ग़ज़ल पढ़कर अच्छा लगा । ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,…"
24 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
yesterday
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service