बिछोह
कभीसोचा न था जो हुआ
कल्पना से परे
ये तुमने किया
यकीन नहीं
होगा भी क्यों
तुम ही तो थी मेरा बिश्वास
दिल के सबसे पास
सांसो में वास
सिर्फ तुम्हारा अहसास
बक्त जो गुजारा हमने
देखे थे सपने
सव नेस्तनाबूद
ख़त्म मेरा बजूद
कहा था तुमने में तुम बनेगें हम
किन्तु सब ख़तम
जरुर छीड़ पड़ी तुम्हारी स्मरण शक्ति
मेरा प्यार भक्ति
तुम वेबफा हो जानता नहीं
तुमने छल किया मेरी मान्यता नहीं
चलो चुन लिया तुमने किसी और को
किन्तु में भूल नहीं पाउँगा इस दौर को
तुमने चुभोई हे दिल में फांस
टीसती रहेगी जब तक हे सांस
Dr Ajay Khare Aahat
Comment
SABHI ATMIYA JANO KO HOSALA AFJAI KE LIYE SADHUBAD
मर्म को छूती हुए सुन्दर अभिव्यक्ति .....
बेहतर अभिव्यक्ति...
सुना है, कवि या संवेदनशील व्यक्ति मौज़ूं हालात का चश्मदीद होता है. उम्मीद है, आपके अंदर का रचनाकार तह्यपरक रचनाएँ प्रस्तुत कर हमें आपके अन्य सोच समृद्ध रूप से परिचित करायेगा.
सधन्यवाद
बहुत सुन्दर सर जी बधाई हो इन भावों के लिए
nikor sahib sadhubad
भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति।
बधाई।
विजय निकोर
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