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तुम से मैं हूँ मुझ से तुम हो

वेश बदल कर मिलोगे
आहटें न बदल पाओगे ..
लब सिल कर रखोगे
नज़रों का बोलना ना छुपा पाओगे ..
चलते -चलते राह बदल दोगे
पगडंडियाँ ना छोड़ पाओगे ...
मिलोगे भी नहीं ,बात भी नहीं करोगे
सपने में आना ना छोड़ पाओगे ..
तुम से मैं हूँ , मुझ से तुम हो
हर बात मुझसे जुडी है
तुम मुझसे ना छुपा पाओगे ...

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Comment

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Comment by Meena Pathak on February 27, 2013 at 1:44pm

बहुत सुन्दर उपासना जी .. बधाई 

Comment by ram shiromani pathak on January 25, 2013 at 7:48pm


इस  रचना के लिए बधाई।

Comment by SUMAN MISHRA on January 24, 2013 at 11:00pm

bahut sunder upasana di...

Comment by नादिर ख़ान on January 24, 2013 at 10:23pm

मिलोगे भी नहीं ,बात भी नहीं करोगे 
सपने में आना ना छोड़ पाओगे ..
तुम से मैं हूँ , मुझ से तुम हो..

सुंदर अभिव्यक्ति उपासना जी ..

कृपया ध्यान दे...

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