सोनाली हर बार यानि पिछले आठ वर्षों से अपना जन्म -दिन , घर के पास के पार्क में खेलने वालों बच्चों के साथ ही मनाती है। उनके लिए बहुत सारी चोकलेट खरीद कर उनमे बाँट देती है।आज भी वह पार्क की और ही जा रही है।उसे देखते ही बच्चे दौड़ कर पास आ गए।और वह ...! जितने बच्चे उसकी बाँहों में आ सकते थे , भर लिया। फिर खड़ी हो कर चोकलेट का डिब्बा खोला और सब के आगे कर दिया।बच्चे जन्म-दिन की बधाई देते हुए चोकलेट लेकर खाने लगे।
" एक बच्चा इधर भी है , उसे भी चोकलेट मिलेगी क्या ...?" सोनाली के पीछे से…
ContinueAdded by upasna siag on July 1, 2015 at 5:30pm — 9 Comments
स्कूटर पर जाती महिला
का सड़क से गुज़रना हो
या गुज़रना हो
काँटों भरी संकड़ी गली से ,
दोनों ही बातें
एक जैसी ही तो है।
लालबत्ती पर रुके स्कूटर पर
बैठी महिला के
स्कूटर के ब्रांड को नहीं देखता
कोई भी ...
देखा जाता है तो
महिला का फिगर
ऊपर से नीचे तक
और बरसा दिए जाते हैं फिर
अश्लील नज़रों के जहरीले कांटे ..
काँटों की गली से गुजरना
इतना मुश्किल नहीं है
जितना…
ContinueAdded by upasna siag on December 20, 2013 at 9:00pm — 12 Comments
मैं प्रेम हूँ
तुम भी तो प्रेम ही हो
प्रेम से हट कर
क्या नाम दूँ
तुम्हें भी और मुझे भी ...
कितनी सदियों से
और जन्मो से भी
हम साथ है
जुड़े हुए एक-दूसरे के
प्रेम में
हर जन्म में तुमसे
मिलना हुआ
लेकिन मिल के भी मेल
ना हो सका
प्रेम फिर भी रहा
तुम में और मुझ में भी
चलते जा रहें है
समानांतर रेखाओं की तरह
साथ हो कर भी साथ…
ContinueAdded by upasna siag on February 28, 2013 at 3:30pm — 17 Comments
उर्वशी की बाहर पुकार हो रही थी। वह शीशे के आगे खड़ी अपना चेहरा संवारती -निहारती कुछ सोच में थी। तभी फिर से उर्वशीईइ .....! नाम की पुकार ने उसे चौंका दिया।
उर्वशी उसका असली नाम तो नहीं था पर क्या नाम था उसका असल में , वह भी नहीं जानती !
अप्सराओं की तरह बेहद सुंदर रूप ने उसका नाम उर्वशी रखवा दिया और भूख -गरीबी और मजबूरी ने उसे स्टेज -डांसर बना दिया। वह छोटे - बड़े समारोह या विवाह समारोह में डांस कर के परिवार का भरण -पोषण करती है अब , आज-कल।
गन्दी , कामुक , लपलपाती नज़रों के…
ContinueAdded by upasna siag on February 12, 2013 at 5:24pm — 19 Comments
वेश बदल कर मिलोगे
आहटें न बदल पाओगे ..
लब सिल कर रखोगे
नज़रों का बोलना ना छुपा पाओगे ..
चलते -चलते राह बदल दोगे
पगडंडियाँ ना छोड़ पाओगे ...
मिलोगे भी नहीं ,बात भी नहीं करोगे
सपने में आना ना छोड़ पाओगे ..
तुम से मैं हूँ , मुझ से तुम हो
हर बात मुझसे जुडी है
तुम मुझसे ना छुपा पाओगे ...
Added by upasna siag on January 24, 2013 at 4:39pm — 4 Comments
जिन्दगी तुझसे क्या
सवाल करूँ , क्या शिकायत करूँ
तुझसे जैसा चाहा
वैसा ही पाया ........
फूल चाहे तो फूल ही मिले
फूलों में काँटों की शिकायत
तुझसे क्यूँ करूँ ,
मेरी तकदीर के काँटों की
शिकायत तुझसे क्यूँ करूँ ..........
सितारों भरा आसमान
चाहा तो भरपूर सितारे मिले
कुछ टूटे बिखरे सितारों की शिकायत
तुझसे क्यूँ करूँ ,
मेरी तकदीर के टूटे सितारों
की शिकायत तुझसे क्यूँ करूँ…
ContinueAdded by upasna siag on January 17, 2013 at 9:46am — 4 Comments
हर रोज़ एक शब्द
सोचती हूँ
उसे बुन लेती हूँ
बुन कर सोचती हूँ
फिर उधेड़ देती हूँ ..
उधड़े हुए शब्द
ह्रदय में
एक लकीर सी बनते
तीखी धार की तरह
निकल जाते हैं ....
सोचती हूँ यह शब्दों
का बुनना फिर
उधेड़ देना
यह उधेड़-बुन न जाने
कब तक चलेगी ..
शायद यह जिन्दगी ही
एक तरह से उधेड़ - बुन ही है
Added by upasna siag on January 15, 2013 at 6:44pm — 12 Comments
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