For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

  • सूनेपन का रंग

सूनेपन का रंग ...
पतझड़ के सूखे पत्तों -सा पीला,
मेले में खो गए भयभीत
बालक की नब्ज़-सा नीला,
या अमावस के गहन
अंधकार-सा गंभीर और काला,
सूनेपन का रंग
कैसा होता है?

घोर आतंक-सा वातावरण,
मौसम पर मौसम बेचैन,
जँगली हाँफ़ती हवाएँ
दानव-सी हँसी हँसती,
हर मास एक और पन्ना पलट
करता है गए मास का
अंतिम संस्कार।

पर सूनापन पड़ा रहता है,
वहीं का वहीं,
पुराने कपड़ों की गठरी-सा।
इस सूनेपन का रंग
सूनेपन में आज कोई पूछे मुझसे।

-----------------------------------------

(मौलिक व अप्रकाशित)

  • विजय निकोर

Views: 640

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on March 7, 2013 at 3:57pm

आदरणीय प्रदीप भाई:

 

इस कविता की सराहना के लिए आपका शत-शत आभार।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 7, 2013 at 3:30pm

बाहर कोलाहल अंदर सूना पन 

व्यथा ह्रदय की जाने कौन 

उसका मन या मेरा मन 

बधाई सर जी 

सादर 

Comment by vijay nikore on March 7, 2013 at 12:12am

आदरणीय अशोक जी:

 

इस कविता की सराहना के लिए आपका शत-शत आभार।

 

सादर और सस्नेह,

विजय निकोर

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 6, 2013 at 11:50pm

आदरणीय विजय निकोर साहब सादर, सच है बाहर की खुशियाँ अन्दर के सूनेपन को नहीं पाट सकती. सुन्दर अभिव्यक्ति हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by Aarti Sharma on February 16, 2013 at 9:43pm

प्रणाम भाई,...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति की है आपने सूनेपन की ..बधाई स्वीकारें

Comment by vijay nikore on February 16, 2013 at 9:15pm

आदरणीय बागी जी:

 

आश्रीर्वाद-सी आपकी सराहना सुखकर लगी ।

अतिशय धन्यवाद।

 

विजय निकोर


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 16, 2013 at 6:56pm

आदरणीय निकोर साहब, सूनेपन के बदरंग रंग में आपने कुछ और रंग तलाशने का प्रयास किया है जो रचना की गंभीरता को एक उचाई प्रदान करता है, रचना अच्छी बन पड़ी है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by vijay nikore on February 16, 2013 at 2:22pm

आदरणीया प्रवीण जी:

 

सराहना के लिए आपका आभारी हूँ,

आपसे मिली सराहना मेरा संबल है।

 

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on February 16, 2013 at 2:19pm

आदरणीय संदीप जी:

 

कविता की सरहाना के लिए आपका हार्दिक आभार।

आशा है, ऐसे ही मनोबल बनाए रखेंगे।

 

विजय निकोर

Comment by Parveen Malik on February 16, 2013 at 12:54pm

पर सूनापन पड़ा रहता है,
वहीं का वहीं,
पुराने कपड़ों की गठरी-सा।
इस सूनेपन का रंग 
सूनेपन में आज कोई पूछे मुझसे।

सूनेपन को सुनदर और सहज रूप में व्यक्त किया आपने बधाई ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service